डी.ए.वी. स्कूल की एक बस(रजिस्ट्रेशन नंबर JH 17G 1962) हाल ही में शहर की सड़कों पर चलते समय गाढ़ा काला धुआं छोड़ते हुए कैमरे में कैद हुई। इस घटना ने बढ़ते वायु प्रदूषण और स्कूल वाहनों में सफर करने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं।
वीडियो में साफ दिखाई देता है कि बस से लगातार घना धुआं निकल रहा है — जो खराब इंजन मेंटेनेंस, जमे हुए फिल्टर या अधूरी ईंधन दहन प्रक्रिया का संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब डीज़ल वाहन काला धुआं छोड़ते हैं, तो इसका मतलब होता है कि इंजन ईंधन को पूरी तरह नहीं जला रहा है और इस प्रक्रिया में अत्यधिक कण पदार्थ (PM) पैदा होता है। यह सूक्ष्म कण लंबे समय तक हवा में बने रहते हैं और सांस के जरिए शरीर में जाने पर अस्थमा, फेफड़ों के संक्रमण और गंभीर श्वसन रोगों का कारण बन सकते हैं।
पर्यावरणीय नियमों के अनुसार, सभी वाहनों — खासकर स्कूल बसों — के पास मान्य प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) होना अनिवार्य है। उत्सर्जन मानकों का पालन न करने पर भारी जुर्माना, वाहन का निलंबन और गंभीर लापरवाही साबित होने पर कड़ी सजा भी हो सकती है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि स्कूल परिवहन प्रणाली की सख्त निगरानी की कितनी आवश्यकता है। उनका मानना है कि नियमित उत्सर्जन परीक्षण, समय पर इंजन की सर्विसिंग और प्रदूषण मानकों का पालन करना केवल कानूनी बाध्यता ही नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है, क्योंकि इसमें बच्चों के स्वास्थ्य का सीधा संबंध है।
यह मामला एक बड़ी चिंता को भी उजागर करता है: शहरी प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच, सार्वजनिक और स्कूल वाहनों से निकलने वाले अनियंत्रित धुएं की समस्या और गंभीर हो जाती है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि स्कूल बसें हमेशा अच्छी तरह मेंटेन हों, प्रदूषण-मुक्त चलें और सभी सुरक्षा मानकों का पालन करें, ताकि बच्चों और पर्यावरण दोनों की सुरक्षा की जा सके।