पाकुड़। जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ द्वारा शनिवार को स्थानीय पीडीजे कक्ष में एक अहम बैठक सह प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा), रांची एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा), नई दिल्ली के निर्देशानुसार नेशन फॉर मिडिएशन अभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार के अध्यक्ष शेष नाथ सिंह ने की। बैठक में मध्यस्थता प्रक्रिया की प्रासंगिकता, इसके लाभ तथा रेफरल जजों की भूमिका पर विस्तृत चर्चा की गई। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि मध्यस्थता एक प्रभावी वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रिया है, जिससे लंबित मामलों का शीघ्र निष्पादन संभव है। उन्होंने उपस्थित न्यायिक पदाधिकारियों एवं अधिवक्ता मध्यस्थों को मामलों की सघन समीक्षा कर अधिक से अधिक वादों को मध्यस्थता में भेजने हेतु निर्देशित किया। उन्होंने बताया कि नालसा व झालसा के तहत 1 जुलाई से 30 सितंबर 2025 तक चल रहे 90 दिवसीय अभियान के अंतर्गत जिले में व्यापक रूप से मध्यस्थता को बढ़ावा दिया जाएगा। इस अभियान में रेफरल जज और अधिवक्ता दोनों की सक्रिय भूमिका अनिवार्य है।
इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम क्रांति प्रसाद, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजीत कुमार चंद्रा, सचिव रूपा बंदना किरो, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक, प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास सहित कई अधिवक्ता-मध्यस्थ मौजूद रहे।
