पाकुड़। साहिबगंज जिले के कोटालपोखर में संचालित सरस्वती शिशु मंदिर के नव निर्मित भवन का उद्घाटन पाकुड़ के विख्यात समाजसेवी लुत्फल हक़ ने फीता काटकर किया। समाजसेवी लुत्फल हक के सहयोग से तीन कमरें का वर्ग कक्ष एवं एक कमरे का प्रधानचार्य कार्यालय का निर्माण कराया गया है। उल्लेखनीय है कि सरस्वती शिशु मंदिर पिछले तीस वर्षों से कोटालपोखर में संचालित है। उक्त विद्यालय से सैंकड़ों बच्चों ने शिक्षा ग्रहण कर वर्तमान में देश के विभिन्न राज्यों में देश सेवा कर रहे है। परंतु दुर्भाग्य है कि आज तक उक्त विद्यालय में भवन का निर्माण नहीं हो सका था। प्रधानचार्य तुलसी मंडल, भावेश साह, जितेंद्र सिंह, मुनीलाल शर्मा, विकास भगत के अथक प्रयास और समाजसेवी लुत्फल हक के सहयोग से नए भवन की आधारशीला रखी गई थी। एक वर्ष में भवन बनकर तैयार हो गया।वहीं लुत्फल हक ने कहा कि बच्चों के हित के लिए उक्त भवन का रंग रोगन भी कराया जायेगा। ताकि भवन सुंदर दिखे।उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में संचालित यह विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुए, इसके लिए हर संभव सहयोग करता रहेगा। मौके पर उप मुखिया प्रतिनिधि विनोद भगत, तारा पोदो, मदन पांडेय, शंकर साहा, बरहरवा के प्रधानाचार्य प्रमोद आचार्य, गौरव आचार्य आदि मौजूद थे।
सरस्वती शिशु मंदिर का क्या है इतिहास
सरस्वती शिशु मंदिर, विद्या भारती संगठन के द्वारा संचालित होते हैं। विद्या भारती, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से प्रेरित एक शिक्षण संस्थान है, जो भारत भर में सरस्वती शिशु मंदिर और अन्य शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करती है। पहला सरस्वती शिशु मंदिर 1952 में गोरखपुर में स्थापित किया गया था। सरस्वती शिशु मंदिरों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के साथ-साथ बच्चों में नैतिक और सामाजिक मूल्यों का विकास करना है। यह संगठन भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है।
