राजकुमार भगत
पाकुड़ । लोकसभा चुनाव की तारीख घोषणा होने को हैं। राष्ट्रीय पार्टी के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टी एवं कई दिग्गज नेता अभी से मैदान में कूद पड़े हैं। सब एक दूसरे को छोटे दिखने में लगे हैं। सभी अपनी सरकार की उपलब्धि और विपक्ष की नाकामी गिनाने में लगे हैं। क्षेत्र में घूम-घूम कर लोगो को और युवाओं को नौकरी देने कि बात नेता द्वारा कही जायेगी। यू कहिए की क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने की बात करेंगे। फिर चुनाव के बाद अगर दर्शन हो जाए तो अहो भाग्य । आईए जानते हैं राज्य की एक विभाग की जाकारी। अगर राज्य कि बात कि जाएं तो आज भी वर्षों से कई ऐसे विभाग है जहां अधिकारी नही है, और न ही कर्मचारी। बात करें पाकुड़ जिले के उद्योग केंद्र कि तो चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। मात्र एक स्थाई चपरासी है, जिसके बदौलत विभाग चल रही है। वैसे तो ये विभाग सरकारी कर्मचारी के फ्लैट में चल रही है, और एक ही स्थाई चपरासी है।सूत्रों की माने तो पूरे राज्य के 24 जिला में मात्र पांच ही महाप्रबंधक है। जबकि प्रत्येक जिला में एक महाप्रबंधक होना चाहिए। साहिबगंज जिला के महाप्रबंधक पाकुड़ जिला के प्रभार में है ।वही प्रखंड स्तरीय प्रखंड उद्योग विस्तार पदाधिकारी प्रत्येक प्रखंड में एक होना चाहिए। लेकिन पूरे जिले में एक भी नहीं है। मात्र आउटसोर्सिंग के माध्यम से जिला सामान्यक एक है। जो साहिबगंज सहित पाकुड़ जिला का भी कार्य भार देखते हैं। इस विभाग में ना पेन है ना क्लर्क है और ना ही कंप्यूटर ऑपरेटर है । जिसके कारण योजना को धरातल पर लाने हेतु महज 50% ही कार्य पूरा हो पता है। सोचनीय विषय है कि अगर पाकुड़ जिले का यह हाल है तो राज्य के अन्य जिलों का क्या हाल होगए ? मतलब साफ है कि सरकार के विभागों में कर्मियों की कमी है । लेकिन बेरोजगार बाहर भटक रहे हैं। सरकारी बहाली की प्रतिशत बहुत कम है। लोक लुभावन वादों के साथ सरकार तो बनती है । लेकिन वादा का सही तरीके से निपटारा नहीं होता है। आम जनता के हाथ लगता है निराशा। जरूरत है ऐसे विषयों पर सरकार को पहल करने की जिससे की विभाग के क्रियाकलाप बेहतर तरीके से हो सके