1855 में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध सिदो कान्हू के नेतृत्व में हुआ था संथाल हूल।
अब्दुल अंसारी
पाकुड़िया :- महेशपुर विधानसभा विधायक प्रो.स्टीफन मरांडी* एवं केंद्रीय कमेटी सदस्य सह युवा नेत्री उपासना मरांडी ने कार्यकर्ताओं के साथ प्रखंड के तलवा चौक और सिद्धू कान्हू चौक पाकुड़िया में हुल दिवस मौके पर स्थित सिद्धू कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया एवं श्रद्धांजलि दिया।इस मौक़े पर हजारों की संख्या मे कार्यकर्ताओं ने आदिवासी तरीके से विधायक का भव्य स्वागत किया।इस मौक़े पर विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी ने हुल दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा की प्रतिवर्ष 30 जून को हूल दिवस का आयोजन होता है. हूल शब्द का अर्थ क्रांति है। 30 जून 1855 को तत्कालीन शासन व्यवस्था और महाजनों के शोषण के विरुद्ध साहिबगंज के भोगनाडीह गांव से सिदो कान्हू के नेतृत्व में संथाल हूल की शुरुआत हुई थी।जिसका आने वाले दिनों में व्यापक असर देखा गया था।नौ महीने तक संथाल हूल क्रांति चली थी। इसको लेकर अंग्रेजों ने व्यवस्था मजबूत करने के लिए संथाल परगना को अलग जिला बनाया और कई विशेष कानून बनाए गए।30 जून 1855 को दो भाइयों सिदो-कान्हू के नेतृत्व में साहिबगंज में बरहेट के पास भोगनाडीह से 10 हजार आदिवासियों ने विद्रोह का बिगुल फूंका जो नौ महीने तक धधकता रहा। कहा जाता है कि इसमें तीस से पचास हजार लोग कूद पड़े थे। संथालों ने जनमानस को परतंत्रता की बेड़ी से मुक्त कराने के लिए अपने हूल को विदेशी अंग्रेजों और स्वदेशी महाजनों दोनों दुश्मनों के खिलाफ खड़ा किया था।आज का संथाल परगना क्षेत्र संथाल हूल का प्रतिफल है। जिसे केवल संथालों ने ही नहीं बल्कि गैर संथालों में कई जाति-समुदाय ने भाग लिया था।केंद्रीय कमेटी सदस्य उपासना मरांडी ने कहा इस आंदोलन में महिलाएं भी बड़ी तादाद में शामिल हुई थीं। इन महिलाओं का नेतृत्व सिदो कान्हू की बहन फूलो और झानो ने किया था।यहां तक कि इस क्रांति में किशोरियों की भी संख्या काफी थी। संथाल हूल एक समग्र क्रांति थी।जिसमें शासन और शोषण के खिलाफ लोग उठ खड़े हुए थे। हजारों की संख्या मे आदिवासी गैर आदिवासी सभी लोग मिलकर क्रांति की मशाल को जलाया।इसका व्यापक असर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पड़ा लोग जागरूक हुए और क्रांति आगे बढ़ती गई। उन हजारों वीर शहीदों की याद में हर साल हूल दिवस मनाया जाता है।इस मौक़े जिला उपाध्यक्ष हरिवंश चौबे, प्रखंड अध्यक्ष मोतीलाल हांसदा,प्रखंड सचिव मइनुद्दीन अंसारी, प्रखंड उपाध्यक्ष अशोक भगत ,जिला संगठन सचिव मुनीराम मरांडी निवारन मरांडी,कालीदास टुडू, अरविन्द टुडू ,शिवलाल टुडू,अब्दुल बनीज,कुबराज मरांडी,रेफाइल मुर्मू,सुभाषिनी मुर्मू, विश्वजीत दास, अख्तर आलम ,मैनेजर मरांडी ,लालबाबू शेख, नेजाम अंसारी ,,मंटू भगत,खुदुलाल भगत ,मंजूर अंसारी ,दामोदर राय ,सिकंदर अली ,तोहिदुल शेख,मनोज सोरेन,एनोस मुर्मू,परमेश्वर मरांडी , कारण गुप्ता ,नरेश हाँसदा,रोहित हाँसदा,सुनील टुडू,सहित पंचायत के अध्यक्ष/सचिव व दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे।

