झालसा रांची के निर्देशानुसार प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में जिले के सभी पैरा लीगल वॉलिंटियर्स के साथ बैठक की गई। इस बैठक में प्रखंडों में भौगोलिक, सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, परंपराओं, सांस्कृतिक कारकों या क्षेत्रीय कमजोरियों के कारण कानूनी सहायता और जागरूकता पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन में कुछ विशेष समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, को लेकर कानूनी चर्चा की गई। बैठक में जे जे बी एक्ट, पोक्सो एक्ट और भाषा के अनुवादक से संबंधित चर्चा की गई। पैरा लीगल वॉलिंटियर्स से उनके कार्य क्षेत्र में होने वाली समस्याओं और उससे संबंधित सुझाव लिखित रूप में लिए गए। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ श्रीमान शेष नाथ सिंह ने कहा कि पैरा लीगल वॉलिंटियर्स को कार्य क्षेत्र में क्षेत्रीय भाषा को समझने में समस्या उत्पन्न होती है, जिसे लेकर पूर्व में डीसीपीयू से पत्राचार किया गया है और उनके तरफ से जवाब भी प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि 105 जेजेबी एक्ट में यह प्रावधान है कि राज्य सरकार द्वारा इससे संबंधित एक फंड क्रिएट किया जा सकता है, जिससे फील्ड में वर्क कर रहे अनुवादक और न्यायालय में गवाही के लिए अनुवादक के लिए लिए गए कार्य के भुगतान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मुद्दे पर डीसीपीयू को पत्र लिखा गया था, जिसका जवाब भी मिला। बैठक में सभी उपस्थित पैरा लीगल वॉलिंटियर्स की समस्या विशेष रूप से सुनी गई। मौके पर प्रभारी सचिव विशाल मांझी और अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक उपस्थित रहे।
