“नेता नहीं, मसीहा बने शमसाद आलम।
पाकुड़ | इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए AIMIM के पूर्व ज़िला अध्यक्ष शमसाद आलम ने शनिवार को एक गर्भवती महिला को समय पर रक्तदान कर उसकी जान बचा ली। इशाकपुर निवासी 36 वर्षीय गोलबाणू बीबी की हालत गंभीर होने पर उन्हें सदर अस्पताल सोनाजोड़ी में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान खून की कमी सामने आई तो परिजनों ने तुरंत इंसानियत फाउंडेशन से संपर्क किया।
गोलबाणू बीबी के अभिभावक हज़रत अली खुद एक सक्रिय रक्तदाता हैं और कई बार फाउंडेशन के माध्यम से जरूरतमंदों की मदद कर चुके हैं। जब यह संकट खुद उनके परिवार पर आया, तो उन्होंने संस्था के सचिव बानिज शेख से सहायता मांगी। बानिज शेख ने तुरंत पूर्व AIMIM जिलाध्यक्ष शमसाद आलम से संपर्क किया और वह बिना देर किए अस्पताल पहुंच गए। शमसाद आलम ने मौके पर ही ओ पॉजिटिव रक्तदान किया और महिला के जीवन को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस नेक काम की सराहना करते हुए इंसानियत फाउंडेशन के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने कहा कि रक्तदान ही सबसे बड़ा दान है और उनकी संस्था 24 घंटे लोगों की सेवा के लिए तत्पर है। शमसाद आलम ने कहा कि युवा अगर ठान लें तो समाज में किसी की भी जान बचाने का जज़्बा पैदा कर सकते हैं। हर युवा को आगे आकर रक्तदान करना चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। इस अवसर पर संस्था के सचिव सूरज शेख, कर्मचारी पियूष दास और नवीन कुमार भी मौजूद थे। पाकुड़ में इस मानवीय पहल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि मदद के लिए सिर्फ एक फोन कॉल और इंसानियत का जज़्बा काफी है।