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June 26, 2025 6:06 pm

विद्यालय भवन जर्जर, खतरे में बच्चों की जान

स्कूल में नहीं है शौचालय,दी जाती खुले में शौच नहीं जाने की शिक्षा

सतनाम सिंह

पाकुड़: पाकुड़ के प्राथमिक विद्यालय उदयनारायणपुर में शिक्षा व्यवस्था जर्जर हो गई है.दरअसल जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक विद्यालय उदयनारायणपुर में छात्र डर-डर कर पढ़ाई करने को मजबूर है. यहां छात्रों को जर्जर क्लासरूम में पढ़ने में डर सा लगता है. छात्रों को स्कूल में हर वक्त ये डर रहता है कि कहीं कहीं लोहे की छड़ें दीवारों का साथ ना छोड़ दे. छात्रों को डर रहता है कि कहीं खंडहर बन चुका स्कूल भवन भरभराकर गिर ना जाए.

जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर छात्र

नन्हे मुन्ने छात्रों का कहना है कि इस स्कूल भवन की छत की हालत ऐसी है मानो किसी भी वक्त गिर जाए. कुछ छात्र स्कूल के बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं. पाकुड़ के ज़िला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर सदर प्रखंड स्थित उदयनारायणपुर का प्राथमिक विद्यालय अपनी ही हालत पर आंसू बहा रहा है. 35 से 40 साल पुराने इस स्कूल भवन की हालत बिल्कुल जर्जर हो गई है. स्कूल प्रबंधन के साथ ही ग्रामीणों को भी डर सताता रहता है कि कहीं स्कूल भवन गिर ना जाए. इसी डर के साये के बीच बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. इस स्कूल में कुल 641 छात्र नामांकित हैं. औसतन बच्चों की उपस्थिति करीब 400 की है। स्कूल में चार कमरे हैं, कुछ बच्चों को बरामदे में ही पढ़ाया जाता है. विभाग की लापरवाही के चलते चार कमरों में 641 बच्चे ठुस ठुस के भरा जाता है। इतने बच्चों के बीच हवा के अभाव में कई बच्चों के तबीयत भी बिगड़ जाती हैं। कुछ अभिभावकों का यह डर सताता है कि अगर बच्चों को विद्यालय भेजें तो कहीं अनहोनी ना हो जाए।पता नहीं शिक्षा विभाग इतना लापरवाह और बेपरवाह कैसे हो सकते हैं। बहरहाल स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार विभाग का दरवाजा खटखटाया है और दर्जनों आवेदन सौंपा है बावजूद विभाग कुछ अनहोनी होने का इंतजार कर रही है।स्थानीय लोगों ने फिर एक बार अपना आवाज बुलंद कर विभाग से नया बिल्डिंग बनवाने का आग्रह किया है।वही अगर स्वच्छता की बात करें तो सरकार एवं सरकारी महकमा के जुबां पर इन दिनों सिर्फ शौचालय एवं स्वच्छता की बात हो रही है, लेकिन क्षेत्र के सरकारी स्कूल ही इस मुहिम में शामिल नहीं है। भले ही बच्चों को विद्यालय में शौचालय निर्माण एवं स्वच्छता के साथ-साथ खुले में शौच से होने वाली बीमारियों और उसके दुष्परिणाम की जानकारी दी जाती है।ऐसे में स्वच्छता अभियान की बात बेमानी लगती है। जबकि स्वच्छता अभियान को लेकर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है। प्रा० वि० उदयनारायणपुर जहां शौचालय ही नहीं है।ऐसे में स्कूल आये बच्चों शौचालय जाने की आवश्यकता हुई तो उसे खुले में ही जाना पड़ेगा।जबकि इस विद्यालय में 6 सहायक शिक्षक,एक रेगुलर शिक्षक सहित कुल 641 बच्चे अध्ययनरत है, लेकिन इन सबों के लिये फिलहाल स्कूल में शौचालय का कोई सुविधा नहीं है।विद्यालय के प्रधानाध्यापक विनोद कुमार सिंह ने बताया कि विद्यालय में 641 बच्चे नामांकित है जिसकी औसतन उपस्थित करीब 400 बच्चों की है। बच्चों के हिसाब से कमरे काफी छोटे हैं और जर्जर है। जर्जर भवन की रिपोर्ट यू डाइस में भी डाला गया है बावजूद अभी तक विभाग के द्वारा नया बिल्डिंग की अनुशंसा नहीं की गई है। बच्चों के लिए पीने योग्य पानी की व्यवस्था पर्याप्त है। विद्यालय परिसर में शौचालय नहीं है इसीलिए मजबूरन सभी बच्चों को शौच के लिए विद्यालय के समीप स्थित मदरसा के शौचालय भेजा जाता है। वहीं अगर बेंच की बात की जाए तो बेंच के अभाव में बच्चे जमीन बैठकर पढ़ने को मजबूर है।

पाकुड़ डीएसई मुकुल राज ने कहा कि डीएमएफटी फंड के तहत उन सभी विद्यालयों का सौंदर्यीकरण व नवीकरण की जाएगी जो विद्यालय भवन जर्जर स्थिति में है, विद्यालय की चार दिवारी नहीं है। उदय नारायणपुर विद्यालय की स्थिति संज्ञान में है जल्दी इसका निराकरण किया जाएगा।

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