राजकुमार भगत
पाकुड़ | लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। भगवान भास्कर को समर्पित इस पर्व के तीसरे दिन रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ दिनभर का व्रत और पूजन शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। शाम ढलते ही छठव्रती महिलाएं माथे पर डाला रखे, पूरी आस्था के साथ खाली पांव अपने-अपने घाटों और तालाबों की ओर रवाना हुईं। घाटों पर पहुंचकर व्रतियों ने पहले जलाशय में स्नान किया, फिर कमर भर जल में खड़े होकर पश्चिममुखी दिशा में भगवान भास्कर को दूध, गंगाजल और फल-सामग्री से अर्घ्य अर्पित किया। घाटों पर दीये की लौ और भक्तिमय गीतों से पूरा वातावरण छठमय हो उठा। अर्घ्य के बाद व्रतियों ने सूर्य मंदिरों में पूजा-अर्चना की और छठी मैया के गीत गाते हुए अपने-अपने घरों को लौटकर उषा अर्घ्य की तैयारी में जुट गईं।
आज प्रातः उषा अर्घ्य के साथ होगा महापर्व का समापन
महापर्व का चौथा और अंतिम दिन सोमवार, 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होगा। इस दिन व्रती पुनः तड़के घाटों पर पहुंचेंगी और उदयगामी सूर्य को दूध, गंगाजल, नारियल, केला, ठेकुआ, ईख, हल्दी सहित फल-सामग्री से अर्घ्य देंगी। पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य की आराधना के दौरान महिलाएं छठ मैया के गीत गाते हुए एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर आशीर्वाद लेंगी। इसके बाद परिवार और श्रद्धालु व्रतियों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे तथा प्रसाद ग्रहण करेंगे। चार दिनों से चल रहा यह पर्व प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हो जाएगा। घाट से लेकर सड़कों तक भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।













