पाकुड़ : संताल परगना समन्वय समिति के बैनर तले गुरुवार को पाकुड़ टाउन की सड़कों पर हजारों आदिवासी युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्रों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। परंपरागत वेशभूषा और हथियारों से सुसज्जित भीड़ ने सूर्या हांसदा को न्याय दो और ST सूची से छेड़छाड़ बंद करो जैसे नारों से पूरा शहर गूंजा दिया। यह बाइक रैली सह आदिवासी जनाक्रोश रैली सूर्या नारायण हांसदा प्रकरण की CBI जांच और कुर्मी/कुड़मि/महतो समुदाय के ST INCLUSION के विरोध में आयोजित की गई थी।रैली की शुरुआत लड्डू बाबू बागान से हुई और हरिनडांगा बाजार होते हुए उपायुक्त कार्यालय, पाकुड़ पहुंचकर एक सभा में तब्दील हो गई। सभा के बाद मुख्यमंत्री झारखंड के नाम CBI जांच की मांगपत्र और राष्ट्रपति के नाम ST INCLUSION के विरोध में ज्ञापन उपायुक्त के माध्यम से सौंपा गया।
सूर्या हांसदा समाजसेवा के प्रतीक थे, उनके साथ अन्याय हुआ है।
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सूर्या नारायण हांसदा सिर्फ एक समाजसेवी नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के मार्गदर्शक थे। उन्होंने चार बार विधानसभा चुनाव लड़ा, दो बार दूसरे स्थान पर रहे, और अपने ट्रस्ट के माध्यम से एक आवासीय विद्यालय चला रहे थे, जहाँ करीब 300 बच्चे मुफ्त में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।संताल परगना समन्वय समिति ने आरोप लगाया कि पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया और यह मामला सुनियोजित साजिश का परिणाम है।
कुर्मी समाज की मांग राजनीतिक साजिश – संगठनों का आरोप
रैली में शामिल वक्ताओं ने कहा कि कुर्मी/कुड़मि/महतो समुदाय की ST सूची में शामिल होने की मांग, आदिवासी समाज के आरक्षण और पहचान पर हमला है। संताल परगना समन्वय समिति ने इसे समरसता तोड़ने की कोशिश बताया।झारखंड क्रांति सेना के केंद्रीय अध्यक्ष अमर मरांडी ने सूर्या हांसदा प्रकरण को सुनियोजित हत्या और सरकारी लीपापोती करार दिया। वहीं, संगठन के महासचिव निखिल मुर्मू ने मुख्यमंत्री से पूछा कि “उन्होंने 2018 में कुर्मियों को ST सूची में शामिल करने की अनुशंसा क्यों की थी?”छात्र समन्वय समिति के डॉ. श्यामदेव हेंब्रम और राजीव बासकी ने एक सुर में कहा कि CBI जांच ही सूर्या हांसदा परिवार को न्याय दिला सकती है।
यह आंदोलन जारी रहेगा – संताल परगना समन्वय समिति
संताल परगना समन्वय समिति, पाकुड़ टीम के सदस्य राहुल राज मरांडी, अजय मरांडी, अशोक कोल, मसीह मुर्मू, श्यामलाल कोल और मदन मरांडी ने कहा कि यह संघर्ष अब रुकेगा नहीं।उन्होंने सरकार से अपील की कि “जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।सभा के अंत में आदिवासी नृत्य और नारेबाजी के साथ रैली समाप्त हुई।














