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रांची. रांची के खिजरी विधानसभा क्षेत्र के खिराबेड़ा गांव के तीन मजदूर पिछले 13 दिनों से उत्तरकाशी में टनल (सुरंग) में फंसे हुए हैं. इन तीन मजदूरों के अलावा भी गांव के एक दर्जन से अधिक मजदूर उत्तरकाशी में उसी टनल में काम कर रहे थे. गांव वालों की मानें तो गांव के करीबन 10 नौजवान उत्तरकाशी काम करने के लिए गए हुए थे. खिराबेड़ा वार्ड संख्या एक के वार्ड सदस्य रामकुमार बेदिया ने बताया कि अधिकतर मजदूर पिछले 1 तारीख को ही काम करने के लिए उत्तरकाशी गए थे.
वार्ड सदस्य ने बताया कि गांव के सभी नौजवान प्रलोभन में उत्तरकाशी गए हुए थे. राज्य में बेरोजगारी का आलम और गांव की बदहाली के बीच जब उन नौजवानों को टनल में सरिया सेंटरिंग के काम के लिए 25000 महीने का प्रलोभन दिया गया तो वह काम करने के लिए अपना प्रदेश छोड़ दूसरे प्रदेश चले गए थे. वहीं काम के दौरान हुए इस हादसे में गांव के अनिल बेदिया राजेंद्र बेदिया और सुखराम बेदिया पिछले 13 दिनों से टनल के अंदर फंसे हुए हैं.
राजेंद्र बेदिया के परिजनों ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि बेटा इतनी परेशानी में गया है, नहीं तो कभी भी उन्हें घर छोड़कर जाने नहीं देते. राजेंद्र बेदिया की मां फुल कुमारी ने कहा कि “पिछले 13 दिनों से हर रोज सुन रहे हैं कि बेटा वापस आएगा.पर अब तक टनल से वह बाहर नहीं निकल पाया है. उन्हें क्या भोजन मिलती होगी, वह कैसा खाता होगा, सब भगवान भरोसे है. अब तो सिर्फ ईश्वर से ही कामना है कि वह जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकले. गांव की कुलदेवी और मां रजरप्पा से मन्नत करती हूं कि जैसे ही बेटा टनल से बाहर निकाल कर वापस घर लौटेगा, सबसे पहले मां रजरप्पा के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करूंगी.
बेटे को टनल में फंसे होने पर अनिल के पिता चारकु बेदिया ने कहा कि शुरूआत में तो उन्हें भोजन में सिर्फ चना मिल रहा था, यह सुनकर अपने बड़े बेटे को हमने उत्तरकाशी भेज भी दिया है. अब सूचना आई है की टनल के अंदर खिचड़ी और भोजन पहुंचा जा रहा है. उम्मीद है कि बेटा ठीक होगा और सही सलामत वापस घर लौटेगा. टनल में फसे सुखराम बेदिया के पिता कहते हैं कि राज्य की बेरोजगारी और बदहाली के बीच आज बेटा पढ़ा लिखा होने के बावजूद दूसरे शहर में जाकर कमा रहा है.
यहां रहने पर भी बेहतर काम नहीं मिलता. लोग निम्न स्तर का काम कराते हैं और वह हमारे बच्चे से नहीं हो पाएगा, इसी वजह से हमारा बेटा अपना राज्य छोड़ दूसरे प्रदेश में चला गया है और वहां मजदूरी कर रहा था. मालूम होता कि इतनी परेशानी में काम कर रहा है तो बेटे को कभी नही भेजता. बता दें कि जितने भी मजदूर उत्तरकाशी में मजदूरी करने के लिए गए हैं, सभी की उम्र करीब 20 से 22 वर्ष की है. इनमें से अक्सर लोग इसी महीने काम करने के लिए पहली बार उत्तरकाशी गए हुए थे.
इसी गांव के रहने वाले नरेश बेदिया भी उत्तरकाशी में ही मजदूरी कर रहे थे. उन्होंने अपने घरवालों को आंखों देखा हाल भी बताया और हर पल का अपडेट वो गांव वालों को दे रहे हैं. नरेश बेदिया की बहन खुशबू बताती हैं कि शुक्र है कि उनका भाई सुरंग के अंदर नहीं फंसा है, पर गांव के तीन लोग टनल के अंदर फंसे हुए हैं. जिस वजह से पूरा गांव परेशान है. हर कोई एक ही बात कह रहा कि एक बार सभी वापस लौट जाएं, तो फिर ऐसे कामों में उन्हें नहीं भेजेंगे.
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Tags: Jharkhand news, Ranchi news, Uttarkashi Latest News
FIRST PUBLISHED : November 24, 2023, 16:43 IST
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