सतनाम सिंह
पाकुड़िया ( पाकुड़ ) जिले के पाकुड़िया प्रखंड अंतर्गत पलियादाहा गांव की एक महिला को एंबुलेंस चालक एवं कंपाउंडर के सूझबूझ से सुरक्षित प्रसव कराया गया। मालूम हो कि गर्भवती महिला को एंबुलेंस 108 में घर से अस्पताल ले जाने के क्रम में असहनीय प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। घर से अस्पताल अभी कुछ दूरी पर था। पर असहनीय पीड़ा एंबुलेंस चालक और उस पर सवार कंपाउंडर को विचलित कर रहा था। परिवार वाले भी साथ में थे । परिवार वालों के सहमति से एंबुलेंस को एक साइड में रोका गया एवं आनन-फानन में 108 एंबुलेंस में ही कर्मियों ने महिला का सुरक्षित प्रसव करवाया। बाद में दोनों को पाकुड़िया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिफ्ट कर दिया गया है। जहां आवश्यक जांच व सुलभ इलाज कराया गया।
108 एंबुलेंस के एमटी आनंद पंडित ने बताया कि एंबुलेंस से महिला को पाकुड़िया सामुदायिक स्वास्थ्य लाया जा रहा था। इसी क्रम में हरिपुर गांव के निकट महिला को काफी प्रसव पीड़ा होने लगी। एंबुलेंस को हरिपुर के बगल में रोककर एंबुलेंस कर्मी हीरो मंडल और ईएमटी (कंपाउंडर) आनंद पंडित ने गर्भवती का वाहन में ही सुरक्षित प्रसव कराया। डॉ गंगा शंकर शाह ने बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं। दोनों को पाकुड़िया के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिफ्ट करा दिया गया है। उन्होंने बताया कि पाकुड़िया प्रखंड में सेवा हेतु मात्र एक एम्बुलेंस 108 वर्तमान में उपलब्ध है। एंबुलेंस में कुशल चालक और एक कपाउंडर की व्यवस्था उपलब्ध है, ताकि मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने के दौरान किसी तरह की परेशानी होने पर तत्काल प्रारंभिक इलाज दिया जा सके। उन्होंने बताया कि 108 एंबुलेंस की सेवा मरीजों के लिए निःशुल्क हैं। जरूरत पर टॉल फी नंबर 108 पर पूछे जाने वाले सभी सूचनाएं सही-सही अंकित कराकर इसका लाभ उठाया जा सकता है।
कभी-कभी इस हालत में दुर्घटनाएं भी हो जाती है
एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव करना एक कंपाउंडर के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और यह खुशी की बात है कि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ है। यह उनकी सौभाग्य है। किंतु इस स्थिति में कभी-कभी असमंजस्य की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और दुर्घटनाएं भी होती है और इसका कोपभाजन चिकित्सा एवं कंपाउंडर और अस्पताल प्रबंधन होते हो जाते हैं। बच्चा स्वस्थ है मां स्वस्थ है तो सब ठीक है। अन्यथा तुरंत लापरवाही का आरोप लगाकर लोग तुरंत निलंबन की मांग कर देते हैं। कोई भी चिकित्सक या कंपाउंडर जानबूझकर ऐसे नहीं करते। किंतु कभी-कभी घटनाएं घट जाती है। इसे समझना होगा। फिलहाल कंपाउंडर की जितनी तारीफ की जाए कम है।