ललपनिया (बोकारो)। ललपनिया के बैंक मोड़ स्थित सेंट मैथ्यू स्कूल में शिक्षाविद् सह विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय केदारनाथ सिंह की 13 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। उन्होंने ललपनिया में 5 नवंबर सन् 1997 को सेंट मैथ्यू स्कूल की नींव रखी थी। इस दौरान हजारों बच्चे विद्यालय से पढ़-लिखकर अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ चुके हैं। इस दौरान सैकड़ो बच्चे भारत सरकार एवं राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत है। इस पुण्यतिथि कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के वर्तमान निदेशक अक्षय कुमार सिंह ने स्वर्गीय केदारनाथ सिंह की तस्वीर पर माला पहनाकर एवं पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन करते हुए की। इस दौरान उन्होंने विद्यालय में मौजूद शिक्षक एवं शिक्षकों को शिक्षाविद केदारनाथ सिंह के जीवन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वर्गीय केदारनाथ सिंह का जन्म सन् 1926 में बिहार राज्य के तत्कालीन पटना जिला के बिहारशरीफ नगर के निकट दरोगाबीघा नमक गांव में हुआ था। अब यह गांव नालंदा जिला में आता है। वे बचपन से ही मेधावी छात्र हुआ करते थे। और युवावस्था में पहलवानी एवं फुटबॉल के प्रेमी थे। पुराने लोग बताते हैं कि अपने जमाने में पहलवानी में दूर-दूर तक इनका नाम हुआ करता था। इनके पिता का नाम मुंशी सिंह था वे बिहारशरीफ के कचहरी में ब्रिटिश काल से ही कार्यरत थे। केदारनाथ सिंह अपने गांव में मैट्रिक की परीक्षा पास करने वाले पहले विद्यार्थी बनने का गौरव हासिल किया था। मैट्रिक की परीक्षा, गणित में उन्होंने 200 में से 198 अंक लाकर पूरे क्षेत्र में अपने विद्यालय का नाम रोशन किया था क्योंकि तब के समय गणित की परीक्षा 200 अंकों की हुआ करती थी। वे युवा काल में ही महात्मा गांधी के साथ पटना के गांधी मैदान में स्वतंत्रता आंदोलन सभा में महीनों सक्रिय रहे। इस दौरान उनकी उम्र करीब 17 वर्ष के आसपास थी। आगे की शिक्षा को बीच में ही रोक कर समाज सेवा एवं परिवार की आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिए पटना में एक निजी विद्यालय की स्थापना कर अपनी पहचान शिक्षा के क्षेत्र में शुरू की। इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुए बिहारशरीफ में दो अन्य विद्यालय की स्थापना किए। इसके उपरांत वे आज के झारखंड राज्य अंतर्गत गिरिडीह मे विद्यालय की स्थापना करने के बाद चास, मुरली डी, महुदा, राजधनवार, संडे बाजार , कथारा, ललपनिया, सारूबेड़ा, तोपा, कर्मा, रामगढ़, भदानीनगर, पतरातु, भुरकुंडा, कुजू , गिद्दी सी, सोनडीहा, हेसागढ़ सहित तकरीबन दो दर्जन विद्यालय की स्थापना की। इस दौरान उन्होंने सैकड़ों शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को विद्यालय में नियुक्ति देकर उनकी आर्थिक उन्नति एवं उन्हें मजबूती देने का काम किया। वे अपने विद्यालय को सदैव प्रशिक्षण केंद्र के रूप में प्राथमिकता देते थे। उन्होंने अपने सभी पुत्रों को उचित शिक्षा देकर डॉक्टर, इंजीनियर एवं प्राचार्य बनाया। श्री सिंह ने बताया कि वे अपने निडर स्वभाव के लिए जाने जाते थे। वर्तमान निदेशक अक्षय कुमार सिंह ने बताया कि उनका संपूर्ण जीवन संघर्ष एवं मानव सेवा में गुजर गया। अपने संघर्ष के दिनों में उन्होंने शिक्षक के रूप में बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उनकी बड़ी बहन इंदु को भी शिक्षा देने का काम किए थे। उनके प्रिय मित्रों में कथारा के लोकप्रिय श्रमिक नेता बाबू ईश्वरीय सिंह का नाम आता है। दोनों घनिष्ठ मित्र हुआ करते थे। उन्होंने अपनी दोनों बेटियों का विवाह जिनमें बड़ी बेटी मंजू का विवाह आर्मी के जवान एवं छोटी का विवाह बिहार पुलिस के जवान से की। इस अवसर पर विद्यालय के वर्तमान प्राचार्य पवन कुमार झा ने विद्यालय के संस्थापक केदार नाथ सिंह को कर्तव्य परायण, कर्तव्यनिष्ठ एवं कर्तव्य योगी के संज्ञा से सम्मानित किया। विद्यालय की उप-प्राचार्य मंजू पांडे ने उनकी प्रशंसा शब्दों में करना कठिन बताते हुए उनके प्रेम पूर्ण स्वभाव के ऊपर अपने विचार प्रकट किया। वहीं विद्यालय की शिक्षिका मीनू देवी ने उन्हें अपने पिता के समान सदैव कठिनाइयों में खड़े रहने वाले सहयोगी एवं एक पिता के रूप में नमन की। इस अवसर पर जैनुल आबेदीन, मुकेश कुमार साव, सरिता झा, राम कुमार, सूर्य कुमार, जीतलाल किस्कू, निक्की अंजुम, मंतशा सफी, श्वेता कुमारी, रीता कुमारी सहित विद्यालय के अन्य शिक्षक एवं शिक्षिकाएं मौजूद रहे। नीचे चित्रों में देखें 5 नवंबर 1997 को “तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन” के माहप्रबंधक ओ. पी वर्मा के करकमलों द्वारा उद्घाटन की तस्वीरें।




