पाकुड़: पाकुड़ सामाहरणालय स्थित डीसी के कार्यालय में पहुंच झामुमो पाकुड़ जिला समिति ने सोमवार को राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन डीसी मनीष कुमार को सौंपा, जिसमें यह मांग की गई कि आदिवासी समाज के लिए “सरना धर्म कोड” या आदिवासी धर्म कोड को मान्यता दी जाए। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि इस मांग को नजरअंदाज किया गया तो आदिवासी समुदाय आगामी जनगणना का बहिष्कार करेगा।ज्ञापन में झामुमो के पदाधिकारियों ने उल्लेख किया कि झारखंड विधानसभा ने 11 नवंबर 2020 को विशेष सत्र में सर्वसम्मति से सरना धर्म कोड के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई। यह मुद्दा आदिवासी अस्मिता और धार्मिक पहचान से जुड़ा हुआ है, जिस पर वर्षों से आंदोलन जारी है।झामुमो का कहना है कि सरना धर्म के अनुयायी प्रकृति को ईश्वर मानते हैं और न तो स्वयं को हिंदू मानते हैं और न ही किसी अन्य धर्म का हिस्सा। इसके बावजूद उन्हें जनगणना में किसी विशिष्ट पहचान के तहत दर्ज नहीं किया जाता, जिससे उनकी सांस्कृतिक पहचान खतरे में है।ज्ञापन में राष्ट्रपति से अपील की गई है कि वे संविधान के संरक्षणकर्ता होने के नाते आदिवासी समाज की धार्मिक स्वतंत्रता और पहचान की रक्षा करें, और सरना धर्म कोड को मान्यता देने हेतु केंद्र सरकार को निर्देशित करें।ज्ञापन पर झामुमो के कई स्थानीय नेताओं के हस्ताक्षर हैं, जिसमें अध्यक्ष अजिजुल इस्लाम के साथ-साथ अन्य सदस्य भी शामिल हैं।
