पाकुड़: झारखंड आंदोलन के शिखर पुरुष, पूर्व मुख्यमंत्री एवं आदिवासी चेतना के प्रतीक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर राजमहल के सांसद विजय हांसदा ने गहरा शोक जताया है। उन्होंने कहा कि यह न केवल एक राजनेता के निधन की खबर है, बल्कि यह झारखंड की आत्मा के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के ढह जाने जैसा है।सांसद विजय हांसदा ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “वटवृक्ष की तरह जिन्होंने हम सबको स्नेह, आशीर्वाद और मार्गदर्शन दिया, ऐसे अभिभावक स्वरूप दिशोम गुरु अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका जाना झारखंड के हर नागरिक के लिए अपूरणीय क्षति है। वह सिर्फ एक नेता नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा, एक संघर्ष और एक संकल्प का नाम थे।”उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु के जीवन से हमें त्याग, संघर्ष और सेवा की प्रेरणा मिलती है। झारखंड राज्य के निर्माण से लेकर आदिवासी अधिकारों की लड़ाई तक, उन्होंने हमेशा आम जनता की आवाज को बुलंद किया।“आज हमारे पास शब्द नहीं हैं,” उन्होंने कहा। “उनकी अनुपस्थिति एक खालीपन छोड़ गई है जिसे कभी भरा नहीं जा सकेगा। उनकी स्मृतियाँ और उनके द्वारा दिखाया गया रास्ता हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा।”सांसद हांसदा ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए कहा, “परमात्मा से प्रार्थना है कि वे दिशोम गुरु को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और समस्त झारखंडवासियों को इस दुख को सहने की शक्ति दें। हम सभी की ओर से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि और अंतिम जोहार।”
