एस कुमार
आदिवासी सेंगेल अभियान के द्वारा आदिवासी स्वशासन के नाम पर चालू मांझी परगाना आदि व्यवस्था में अभिलंब जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार संबंधी आग्रह पत्र शनिवार को महेशपुर एसडीपीओ विजय कुमार, बीडीओ सिद्धार्थ शंकर यादव, थाना प्रभारी रवि शर्मा को एक पत्र सौंपा है. दिए गए ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि आदिवासी समाज में प्रचलित स्वशासन व्यवस्था खासकर संथाल समाज में चालू व्यवस्था स्वशासन की जगह स्वशोषन का प्रतीक बन चुका है. यह अब गुंडागर्दी और मनमानी का तानाशाही रूप ले चुका है. मांझी परगाना व्यवस्था संविधान और जनतंत्र विरोधी है, या व्यवस्था वंशवादी है और अधिकांश मांझी परगना के अगुआ अनपढ़ पियक्कड़ और मुर्ख है. देश दुनिया से बेखबर है गांव के सभी लोगों द्वारा नहीं चुने जाते हैं. जनतांत्रिक व्यवस्था की अनुपस्थिति में गांव में उपलब्ध पढ़े लिखे लोगों व महिलाओं को शामिल होने का अवसर नहीं होता है. उनके द्वारा सामाजिक बहिष्कार की धमकी से बाकी लोग गुलामी का जीवन जीने को मजबूर है. अतः विकास और सबकी बराबरी के लिए मांझी परगाना व्यवस्था का जनतंत्रीकरण अभिलंब जरूरी है. मांझी परगाना व्यवस्था के अगुआ संविधान कानून और मानव अधिकार नहीं मानते हैं. इस व्यवस्था के वाहक अंधविश्वास, नशापन, जुर्माना, सामाजिक बहिष्कार, डायन प्रथा, वोट खरीद बिक्री, महिला विरोधी मानसिकता, ईर्ष्या-दे॔ष आदि को खत्म करने के वजह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष इसको बढ़ावा देते हैं. इससे मर्यादा के साथ जीने और समानता के संवैधानिक अधिकारों का हनन जारी है. किसी को जुर्माना लगाना सामाजिक बहिष्कार करना डायन के नाम पर पड़ताड़ना और हत्या करना आदि सामाजिक मामला नहीं, बल्कि अपराधी और गैर कानूनी कार्रवाई है. अतः प्रत्येक आदिवासी गांव के नागरिकों को इस अपराध और हिंसा से अभिलंब मुक्त करना जरूरी है. संविधान कानून और मानव अधिकारों की रक्षा करने का महंती दायित्व कार्यपालिका का है. अतः जिला पुलिस प्रशासन से इसकी जांच और अभिलंब रोकथाम जरूरी है. आदिवासी सेंगेल अभियान मांझी परगना व्यवस्था में जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार की मांग करता है. इस आदिवासियों का सामाजिक मामला बात कर इससे पल्ला झाड़ना भारतीय नागरिकों के साथ अपराध जैसा है. मौके पर सेंगेल के संथाल परगना प्रमंडल महासचिव मदन मुर्मू, पाकुड़ जिला सेंगेल छात्र मोर्चा अध्यक्ष रूबीलाल किस्कू, जिला अध्यक्ष लोबिन मरांडी, सुलेमान किस्कू, पीटर मुर्मू, कमल सोरेन, देवान हेंब्रम, मोतीलाल सोरेन सहित अन्य मौजूद थे।

