रेलवे की नई योजना पर पाकुड़ में फूटा गुस्सा, हावड़ा डिवीजन में सबसे अधिक राजस्व देने वाला स्टेशन फिर हुआ उपेक्षित।
पाकुड़ : साहिबगंज–बरहरवा–पाकुड़ रेलखंड से भारतीय रेलवे को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है। हैरानी की बात यह है कि हावड़ा के बाद सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाला पाकुड़ स्टेशन एक बार फिर रेलवे की नई योजना से नजरअंदाज कर दिया गया है। इससे जिले के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। स्थानीय नागरिकों और व्यावसायिक संगठनों का कहना है कि रेलवे विभाग हर बार पाकुड़ को पीछे धकेलने की साजिश रचता है। भागलपुर, दुमका और रामपुरहाट रेल परियोजनाओं को प्राथमिकता देने से लोगों में नाराज़गी है। उनका कहना है कि रेलवे के इस कदम से न सिर्फ़ पाकुड़ का व्यापार और रोजगार प्रभावित होगा, बल्कि यात्रियों को भी बड़ी परेशानी झेलनी पड़ेगी। व्यापारियों का कहना है कि पाकुड़ रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन कोयला, पत्थर और अन्य माल की बड़ी खेपें देशभर में भेजी जाती हैं, जिससे रेलवे को भारी राजस्व मिलता है। इसके बावजूद पाकुड़ के विकास को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। लोगों ने रेल मंत्रालय और केंद्र सरकार से मांग की है कि पाकुड़ को उसकी आर्थिक अहमियत के अनुरूप स्थान दिया जाए। साथ ही, रेल सेवाओं के विस्तार, नए ट्रेनों की शुरुआत और यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएँ। स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि हर बार वादे किए जाते हैं, योजनाएँ बनती हैं, लेकिन हकीकत में पाकुड़ को सिर्फ़ ठगा जाता है। अब और नहीं पाकुड़ को उसका हक़ चाहिए।
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