पत्रकार अंकित कुमार लाल
मेदनीनगर: डाल्टनगंज शहर के युवाओं और आम नागरिकों के लिए बनाए गए सार्वजनिक स्थल आज स्वयं उन्हीं की लापरवाही का शिकार बनते जा रहे हैं। शहर के बीच स्थित अंबेडकर पार्क इसका ताजा उदाहरण है, जहां हाल के दिनों में सुंदरीकरण के नाम पर बनाई गई संरचनाएं क्षतिग्रस्त अवस्था में देखी गईं।
अंबेडकर पार्क में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे लगी टाइल्स टूटी हुई पाई गईं। पार्क की सीढ़ियां भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं। इसके अलावा, पार्क की सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाए गए स्टील पाइप से बने गोलाकार ढांचे भी टूट-फूट का शिकार हो चुके हैं। इससे भी अधिक चिंताजनक स्थिति यह रही कि कुछ लोगों को खुले में शौच करते हुए भी देखा गया।
यह समझ से परे है कि डाल्टनगंजवासियों को यह क्यों नहीं समझ आता कि नगर निगम की संपत्ति भी उनकी अपनी ही संपत्ति है। भले ही पूर्व महापौर के कार्यकाल में इन स्थलों की देखरेख पर पर्याप्त ध्यान न दिया गया हो, लेकिन सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि आम जनता की भी होती है।
डाल्टनगंज में कई स्थानों पर “यहां पेशाब करना मना है” जैसे बोर्ड लगे होने के बावजूद, लोग उन्हीं स्थानों पर खुले में शौच करते नजर आते हैं। इसके पीछे एक कारण नगर निगम द्वारा पर्याप्त सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्था न होना या जहां व्यवस्था है, वहां साफ-सफाई और रखरखाव की कमी भी मानी जा सकती है।
यदि शहर को वास्तव में सुधार की राह पर ले जाना है, तो अंबेडकर पार्क जैसे प्रमुख स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए और तोड़फोड़ या गलत उपयोग करने वालों पर सख्त जुर्माना लगाया जाना चाहिए। इससे न केवल निगरानी बढ़ेगी, बल्कि लोगों में डर और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित होगी।
पुराने समय को याद करें तो पूनम सिंह के कार्यकाल में भले ही आज जैसा भव्य सुंदरीकरण नहीं था, लेकिन सार्वजनिक स्थलों की यह दुर्दशा भी नहीं थी। आज हालात ऐसे हो गए हैं कि सुंदरीकरण, धीरे-धीरे “बंदरीकरण” में बदलता नजर आ रहा है।
यदि डाल्टनगंज की जनता स्वयं अपनी संपत्ति की रक्षा नहीं कर सकती, तो यह मानना गलत नहीं होगा कि केवल सुंदरीकरण से शहर की तरक्की संभव नहीं है। शहर में जगह-जगह सार्वजनिक शौचालयों की स्थापना, उनकी नियमित सफाई और निगरानी बेहद जरूरी है। केवल शौचालय बना देने से समस्या का समाधान नहीं होगा, जब तक उनका सही रखरखाव नहीं किया जाए।
अंबेडकर पार्क जैसे स्थानों से रोजाना महिलाएं और बच्चे गुजरते हैं। ऐसे में वहां फैली गंदगी और खुले में शौच की स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है। यह डाल्टनगंज के सुंदरीकरण का नहीं, बल्कि उसके अपमान का प्रतीक बनता जा रहा है।
अब समय आ गया है कि प्रशासन और जनता दोनों मिलकर यह समझें कि शहर की सुंदरता और गरिमा को बनाए रखना साझी जिम्मेदारी है।





