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US-Pakistan Relation: अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध की एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है. अमेरिकी कांग्रेस के 11 सांसदों ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को पत्र लिख कर मांग किया है कि जब तक पाकिस्तान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया से निष्पक्ष चुनाव नहीं हो जाता और स्थायी सरकार बहाल नहीं हो जाती, तब तक सैन्य सहायता रोक देनी चाहिए. वर्तमान में पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार है. पाकिस्तान के खिलाफ बैन की मांग करने वालों सांसदों में पूर्व पीएम इमरान खान की करीबी मानी जाने वाली इल्हाना उमर भी शामिल हैं.
अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार और ईशनिंदा के खिलाफ सख्त कानून पर भी आपत्ति जताई है. उन्होंने पाकिस्तान में कैथलिक चर्चों पर हमलों का भी जिक्र किया है. मालूम हो कि पाकिस्तान में जल्द ही आम चुनाव होने वाले हैं. फिलहाल वहां पर, अनवर-उल-हक कक्कड़ के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार है. पाकिस्तान में अगले साल फरवरी में आम चुनाव होने की संभावना है. चुनाव को देखते हुए पूर्व पीएम नवाज शरीफ भी लंदन से पाकिस्तान से पहुंच चुके हैं. वहीं, इमरान खान तोशाखाना केस मामले में 3 साल की जेल की सजा काट रहे हैं.
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अमेरिकी सांसद पाकिस्तान से हैं नाराज
अमेरिकी सांसदों ने कहा कि विदेशी सहायता अधिनियम की धारा 502बी के तहत विदेश विभाग को इसकी जांच करनी चाहिए कि क्या अमेरिकी सहायता का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा इस मदद का इस्तेमाल मानवाधिकार उल्लंघन में किस हद तक किया जा रहा है. सांसदों ने अमेरिका के लीही कानून के प्रयोग के करने की मांग की है. लीही कानून अमेरिका द्वारा विदेशी सुरक्षा बलों के सहयोग की मॉनिटरिंग करता है ताकि पता लगाया जा सके कि विदेशी सैनिक इसका प्रयोग मानवाधिकार के उल्लंघन जैसे कि यातना, सामूहिक हत्या, जबरन गायब करना और बलात्कार के लिए तो नहीं कर रहे हैं. उन्होंने मांग किया कि पाकिस्तान में स्वतंत्र चुनाव होने चाहिए जिसमें सभी पार्टियां हिस्सा ले सकें.
इमरान की करीबी इल्हान ओमर भी है शामिल
अमेरिकी सांसदो ने पाकिस्तान सरकार द्वारा ईशनिंदा कानून को और भी मजबूत करने पर निराशा जाहिर किया हैं. मालूम हो कि उमर की छवि एक कट्टरपंथी मुस्लिम की है. इल्हान सहित लगभग दर्जन भर कांग्रेस सदस्यों ने संवैधानिक व्यवस्था की बहाली ईशनिंदा कानून में बदलाव की भी मांग की है.
ईशनिंदा कानून पर कड़ी आपत्ति
सांसदों का कहना है कि ईशनिंदा कानून में पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने के सख्त प्रावधान हैं. उन्होंने पाकिस्तान में पारित हुए आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 का कड़ा विरोध किया है. बदनामी का कानून भी इसी के अंतर्गत आता है. इसका इस्तेमाल पहले भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ किया जाता रहा है. इस बिल पर अभी राष्ट्रपति के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं. पत्र में 16 अगस्त की घटना का जिक्र है जिसमें भीड़ ने एक चर्च में भी आग लगा दी थी. इसके अलावा गिलगित बाल्टिस्तान में शिया समुदाय के लोगों ने भी इस बिल का विरोध किया है.
सांसदों ने कहा कि अगर यह बिल कानून बन गया तो पाकिस्तान में धार्मिक आजादी खत्म हो जाएगी. आपको बता दें कि ये सांसद ज्यादातर प्रोग्रेसिव ग्रुप के हैं जो फिलिस्तीन का मुद्दा भी उठा रहे हैं और फिलहाल गाजा में युद्धविराम की मांग कर रहे हैं. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार ने इमरान खान के खिलाफ ईशनिंदा कानून का भी इस्तेमाल किया था.
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Tags: America, America News, Pakistan news
FIRST PUBLISHED : November 19, 2023, 16:40 IST
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