“धरती के बेटे अब रहेंगे हक से”
“धरती के बेटे अब रहेंगे हक से, शासन से सीधे जुड़ेंगे” — कुछ यही नज़ारा सोमवार को पाकुड़ जिले के कई पंचायतों में लगे शिविरों में देखने को मिला। आदिम जनजातियों के उत्थान के लिए चल रहे धरती आबा जन भागीदारी अभियान के तहत आज जिले के सभी प्रखंडों में खास शिविरों का आयोजन हुआ। सुबह से ही पंचायत भवनों पर लोगों की भीड़ जुटने लगी।
योजनाएं ऐसी, जिनसे बदल रही ज़िंदगी
शिविरों में आधार कार्ड से लेकर आयुष्मान कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि, राशन कार्ड, जनधन खाते, बीमा योजनाएं, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, पीएम विश्वकर्मा योजना, मुद्रा लोन और छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं का लाभ दिया गया। सबसे खास बात ये रही कि इन योजनाओं का लाभ सीधे जनजातीय समुदाय के उन लोगों को मिला जो अब तक व्यवस्था से वंचित थे।
लोग बोले—पहली बार लगा कि सरकार हमारे दरवाजे तक आई है
लिट्टीपाड़ा प्रखंड की एक महिला लाभुक सोमनी हेंब्रम ने भावुक होते हुए कहा— “पहले हमें नहीं पता था कि इतने सारे योजनाएं हमारे लिए भी हैं। आज आयुष्मान कार्ड बना, बेटी के लिए छात्रवृत्ति की भी बात हुई। लगता है सरकार अब वाकई हमारे बारे में सोच रही है।”
ये पंचायतें बनीं बदलाव की मिसाल
मालपहाड़ी (पाकुड़), केंदुआ (हिरणपुर), लिट्टीपाड़ा, खांपुर, तेलियापोखर, मानिकपुर (महेशपुर), डोमनगड़िया (पाकुड़िया) समेत कई पंचायतों में हुए शिविरों में हजारों लोगों ने भाग लिया। प्रशासनिक अफसर खुद ग्राउंड पर उतरे और लाभुकों से सीधे संवाद किया।
अधिकारियों ने कहा—कोई भी हक से वंचित न रहे
प्रखंड एवं जिला स्तरीय अधिकारियों ने लोगों को बताया कि यह अभियान सिर्फ कागज़ी नहीं है, बल्कि इसका मकसद हर जरूरतमंद को योजनाओं से जोड़ना है। “हर पात्र व्यक्ति को हक मिलेगा, ये हमारा वादा है”, अधिकारियों ने कहा।
30 जून तक जारी रहेगा अभियान
केंद्र सरकार के निर्देश पर 15 जून से चल रहे इस विशेष जनभागीदारी अभियान का समापन 30 जून को होगा। तब तक जिलेभर में इस तरह के शिविर रोजाना आयोजित किए जा रहे हैं।

