पाकुड़िया प्रखंड के उदयपुर गांव की सुनीता हेमब्रम आज महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा बन चुकी हैं। कभी रोज़गार की तलाश में भटकने वाली सुनीता की जिंदगी तब बदली जब उन्होंने जियड़ झरना आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आजीविका कृषक सखी के रूप में काम शुरू किया।
जेएसएलपीएस से खेती-बाड़ी का प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने समूह से ₹40,000 का ऋण लेकर एक एकड़ जमीन पर सब्जी की खेती शुरू की। खेती से हुए मुनाफे से सुनीता ने 20 बकरियां खरीदीं और पशुपालन शुरू किया। कुछ ही महीनों में उन्हें ₹15,000 का लाभ हुआ। मेहनत और लगन का नतीजा यह रहा कि आज उनके पास 30 बकरियां और 15 मुर्गियां हैं। लगातार बढ़ती आमदनी से उन्होंने सेकंड हैंड ट्रैक्टर भी खरीद लिया है। अब उनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक हो गई है और परिवार खुशहाल जीवन जी रहा है। सुनीता की सफलता ने गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है। वे अब पशुपालन और खेती के जरिए आत्मनिर्भर बनने की राह पर आगे बढ़ रही हैं।











