सतनाम सिंह
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश – प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद की अदालत ने आज गुरुवार को दहेज हत्या के एक मामले में पति श्रवण भगत, सास सुमित्रा भगत और देवर मनोज भगत को सश्रम आजीवन कारावास और एक-एक लाख रुपया जुर्माना करने की सजा सुनाई। जुर्माना की राशि नहीं देने पर तीनों को अतिरिक्त 1 साल जेल में रहना पड़ेगा। इसके अलावा अदालत ने तीनों को अन्य एक धारा में 2 साल की सश्रम कारावास और 10- 10 हजार रुपया जुर्माना करने की सजा सुनाई है। जुर्माना की राशि नहीं देने पर तीनों को और एक-एक माह जेल में रहना पड़ेगा। उक्त तीनों ने एकमत होकर घर की बहू लक्ष्मी देवी की हत्या कर दी थी। वर्ष 2015 में लक्ष्मी देवी की शादी पाकुड़िया गांव/कस्बा के श्रवण भगत से हुई थी। दो बच्चों की मां लक्ष्मी देवी की नैहर महेशपुर थाना क्षेत्र के बासमती गांव है। लक्ष्मी देवी के भाई धर्मनाथ भगत ने इस हत्या कांड को लेकर 16 मार्च 2021 को पाकुरिया थाना में कांड संख्या 6/ 2021 दर्ज की थी। दर्ज प्राथमिकी के अनुसार शादी के बाद 2 साल तक लक्ष्मी देवी अपने ससुराल में ठीक से रही, लेकिन उसके बाद उसके पति, सास और देवर उसे दहेज को लेकर प्रताड़ित करने लगे थे। इसकी सूचना वह अपने मायके वालों को फोन से दे रही थी। मायके वाले लक्ष्मी को समझा बूझकर ससुराल में ही शांति से रहने की सलाह देते रहे थे। ससुराल वाले लक्ष्मी के मायके से 50 हजार रुपया की मांग कर रहे थे। लेकिन मायके वाले कभी-कभी कुछ रुपया उसके ससुराल वालों को दे रहे थे। एक बार मायके वालों ने उनकी सास की बैंक खाता में दस हजार रुपया जमा किया था।। इसके बाद भी ससुराल वाले और अधिक पैसे की मांग कर रहे थे। 18 फरवरी 2021 को लक्ष्मी देवी फोन से मायके वालों को बता रहे थे कि अगर पूरा पैसा नहीं दिया तो ससुराल वाले उसकी हत्या कर देंगे।इसी बीच 16 मार्च 2021 को ससुराल वालों ने लक्ष्मी देवी की हत्या कर दी। श्रवण भगत ने लक्ष्मी देवी की मृत्यु हो जाने की सूचना उसके मायके वालों को दिया था। लक्ष्मी की मौत होने की सूचना प्रकार उसके मायके पहुंचे लेकिन वहां कोई नहीं था। पता चला कि उसकी लाश वहां के अस्पताल में है। वह अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां श्रवण भगत उपस्थित नहीं था। अस्पताल में लक्ष्मी देवी की लाश पड़ी हुई थी। उसी अस्पताल में लक्ष्मी देवी के भाई धर्मनाथ भगत ने पुलिस को अपना बयान दिया था। गौरतलब हो कि सूचक धर्मनाथ भगत जो मृतका के भाई भी हैं उन्होंने न्यायालय के समक्ष अपने बयान में आरोपियों के खिलाफ बयान नहीं दिया फिर भी न्यायालय ने अपने शक्तियों का सतत उपयोग करते हुए अन्य महत्वपूर्ण गवाहों एवं बयानों के मद्देनजर उक्त तीनों गुनहगारों को सजा सुनाकर,समाज के लिए मिसाल कायम की ताकि समाज में सामाजिक कुरीतिया जैसे दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा पर नकेल कसा जा सके।