लाइव डिमॉन्सट्रेशन में दिखी सक्रिय भागीदारी।
अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कार्यक्रम के तहत चना फसल की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से किसानों को राइजोबियम कल्चर से बीज शोधन का प्रशिक्षण एवं लाइव डिमॉन्सट्रेशन दिया गया। यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र, महेशपुर (पाकुड़) और आत्मा पाकुड़ के संयुक्त तत्वावधान में जयकिष्ठोपुर पंचायत भवन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक (उद्यान) डॉ. किरण मेरी कंडीर और आत्मा पाकुड़ के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक मुहम्मद शमीम अंसारी ने किसानों को बीज शोधन की पूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया व्यावहारिक रूप से समझाई।
175 किसानों को मिला चना बीज
रबी सीजन 2025-26 के तहत एनएफएसएनएम योजना (टर्फा) के अंतर्गत आत्मा पाकुड़ द्वारा जयकिष्ठोपुर पंचायत में 175 किसानों के बीच चना बीज का वितरण किया गया है। बेहतर उपज के लिए बीज शोधन को अनिवार्य बताते हुए वैज्ञानिकों ने इसके लाभ विस्तार से समझाए।
किसानों ने खुद किया बीज शोधन
डॉ. किरण मेरी कंडीर ने किसानों की सक्रिय भागीदारी से राइजोबियम कल्चर द्वारा बीज शोधन का लाइव डिमॉन्सट्रेशन कराया। किसानों ने स्वयं गुड़ की चासनी तैयार की, चासनी के ठंडा होने के बाद उसमें कल्चर मिलाया और बीजों को अच्छी तरह लेपित किया। इसके बाद बीजों को छाया में प्लास्टिक शीट पर फैलाकर सुखाने की विधि भी सिखाई गई। उन्होंने बताया कि 100 ग्राम राइजोबियम कल्चर पैकेट डेढ़ बीघा चना बीज के लिए पर्याप्त होता है। साथ ही कल्चर उपलब्धता और खरीद के स्रोतों की जानकारी भी दी गई। इन सावधानियों पर दिया गया जोर
बीज शोधन के दौरान और बाद में सीधी धूप से बचाव
शोधन के बाद बीजों को छाया में सुखाना
सुखाने के तुरंत बाद समय पर बुवाई
अन्य फसलों के लिए भी दी जानकारी
किसानों के सवाल पर मुहम्मद शमीम अंसारी ने बताया कि लहसुन, प्याज, गेहूं सहित अन्य फसलों में भी जीवाणु कल्चर से बीज शोधन किया जा सकता है। इसके लिए एजोटोबेक्टर और पीएसबी कल्चर का उपयोग किया जाता है। एजोटोबेक्टर से पौधों को वायुमंडल से नाइट्रोजन मिलती है। पीएसबी से मिट्टी में उपलब्ध फिक्स फास्फोरस घुलनशील होकर पौधों को मिलता है। इससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटती है और उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि होती है। कार्यक्रम में खालिदा खातून (एटीएम), मोहम्मद समसुज्जोहा (किसान मित्र), राहुल भट्टाचार्य सहित 25 किसान उपस्थित रहे।








