Search

July 27, 2025 7:04 pm

झारखंड में टीएसी की तर्ज पर बने मोमिन एडवाइजरी कमेटी : नजरुल

पाकुड़: झारखंड में मुस्लिमों, खासकर मोमिन समाज को सिर्फ वोट बैंक समझा गया, हक कभी नहीं मिला। आज जरूरत है कि उनकी आवाज को सुना जाए। जिस तरह आदिवासियों के लिए टीएसी है, वैसे ही मोमिन समाज के लिए एमएसी (मोमिन एडवाइजरी कमेटी) बनाई जाए।”ये बातें पसमांदा मुस्लिम रिजर्वेशन महाज के कन्वीनर मोहम्मद नजरुल इस्लाम ने मंगलवार को प्रेस वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई से लेकर झारखंड निर्माण तक मुस्लिम समाज ने हर संघर्ष में भागीदारी निभाई, लेकिन आज भी उन्हें सामाजिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर रखा गया है।

मोमिन समाज की हालत बेहद खराब : इस्लाम

इस्लाम ने कहा, “मोमिन समाज की बड़ी आबादी आज भी बेरोजगारी, कुपोषण और पलायन की मार झेल रही है। महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं, बच्चों को पोषण नहीं मिल रहा। हथकरघा, जो कभी पहचान हुआ करता था, अब खत्म हो चुका है। सरकारों और उद्योगपतियों की नीतियों ने उन्हें उनके परंपरागत रोजगार से भी वंचित कर दिया।”

Also Read: E-paper 06-06-2025

राजनीतिक दलों पर लगाया इस्तेमाल का आरोप

नजरुल इस्लाम ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने मुस्लिमों को सिर्फ इस्तेमाल किया। हर चुनाव में उन्हें झूठे वादों से बहलाया गया, लेकिन आज तक कोई आयोग, कमेटी या प्रतिनिधित्व उन्हें नहीं दिया गया।

झारखंड में एमएसी बना तो पूरा होगा निर्माण का सपना
उन्होंने जोर देकर कहा कि झारखंड का निर्माण जिन सपनों के साथ हुआ था, उन्हें तभी पूरा किया जा सकता है जब हर समाज को बराबरी का हक मिले। “अगर सरकार वास्तव में मुस्लिम समाज की हितैषी है तो उसे टीएसी की तर्ज पर एमएसी (मोमिन एडवाइजरी कमेटी) का गठन करना चाहिए,” इस्लाम ने कहा।

सवाल उठता है : क्या सरकार अब भी खामोश रहेगी?
नजरुल इस्लाम की यह मांग न सिर्फ मोमिन समाज की, बल्कि झारखंड के समावेशी विकास की आवाज है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इसपर कोई ठोस कदम उठाती है या यह आवाज भी बाकी वादों की तरह हवा में गुम हो जाएगी।

Leave a Comment

लाइव क्रिकेट स्कोर