अमृत भारत योजना के वादे धरे रह गए, स्टेशन की हालत जर्जर, सांसद-विधायक भी खामोश
हावड़ा डिविजन पाकुड़ को सिर्फ एटीएम समझता है – पैसा लो, सुविधा मत दो!
पाकुड़: पूर्व रेलवे के हावड़ा मंडल में आने वाला पाकुड़ रेलवे स्टेशन और कोल साइडिंग रेलवे को हर साल अरबों रुपये का राजस्व देता है, लेकिन इस स्टेशन पर बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। न फर्श सही है, न बेंचें। लिफ्ट और एस्केलेटर महीनों से बंद पड़े हैं। और जो पार्क स्टेशन के बाहर बना, वह भी अब उजड़ने की कगार पर है।पाकुड़ की जनता सवाल पूछ रही है – क्या हम सिर्फ कोयला ढोने के लिए हैं? हमारी सुविधाओं की जिम्मेदारी कौन लेगा?दो साल पहले अमृत भारत योजना में नाम मिला था , अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। बता दें कि 2022 में रेलवे ने स्टेशन को अमृत भारत योजना में शामिल कर भव्य पुनर्विकास का ऐलान किया था। वादा था – आधुनिक स्टेशन, डिजिटल डिस्प्ले, स्वच्छता, हरियाली, यात्रियों के लिए सुविधाएं।लेकिन आज तक सिर्फ कागजों में ही विकास हुआ है।न टेंडरनिकले, न कोई निर्माण कार्य शुरू हुआ।

रेलवे इंजीनियरिंग विभाग ने बनाया पार्क, अब वो भी टूटा-फूटा
स्टेशन के सामने रेलवे द्वारा एक छोटा पार्क बनाया गया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में आज वह कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुका है। वहीं रेलवे मैदान में पुराने मलबे और अवशेषों का ढेर यात्रियों और स्थानीय लोगों की आंखों में खटक रहा है।
समस्या ही समस्या
प्लेटफॉर्म का फर्श कई जगहों से उखड़ा हुआ है,स्टेशन पर लिफ्ट व एस्केलेटर बंद, कोई तकनीकी समाधान नहीं,बेंचें टूटी, छांव की व्यवस्था नहीं,कोरोना काल में बंद हुई लोकल ट्रेनें आज तक नहीं चालू,लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव भी नहीं।
जब जब डीआरएम आए तो स्टेशन नहीं देखा, सीधे कोल साइडिंग चले गए!
पिछले साल हावड़ा डिवीजन के डीआरएम पाकुड़ आए थे, लेकिन निरीक्षण करने के नाम पर स्टेशन पर कदम तक नहीं रखा। सीधे कोल साइडिंग पहुंच कर निरीक्षण किया।स्थानीय लोगों में नाराजगी है कि रेलवे सिर्फ कोयले में दिलचस्पी रखता है, आम जनता की समस्याओं की किसी को परवाह नहीं।

नेता भी चुप, जनता पूछ रही – किससे करें उम्मीद?
पाकुड़ के लोगों ने सांसद और विधायक पर सीधे शब्दों में आरोप लगाया है कि चुनाव जीतने के बाद दोनों नेताओं ने पाकुड़ की जनता को भुला दिया। रेलवे स्टेशन की बदहाली पर कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव आज तक नहीं हो पाया, लिफ्ट शोपीस बनी है, दिव्यांगों के लिए कोई सुविधा नहीं — और प्रतिनिधि सिर्फ भाषणों और सोशल मीडिया की तस्वीरों तक सीमित हैं।
आख़िर कब सुधरेगी पाकुड़ स्टेशन की किस्मत?
रेलवे बोर्ड से लेकर स्थानीय प्रशासन तक, हर स्तर पर सवाल उठ रहे हैं। क्या सिर्फ कमाई करना ही रेलवे की जिम्मेदारी है?
पाकुड़ की जनता अब सड़क से सोशल मीडिया तक आवाज़ उठाने को तैयार है। अगर समय रहते जवाब नहीं मिला, तो आंदोलन की तैयारी भी हो रही है।

हावड़ा डिविजन पर गंभीर सवाल
हावड़ा डिविजन लगातार पाकुड़ की अनदेखी करता आ रहा है। पत्थर और कोयले की माल ढुलाई से अरबों की कमाई होती है, लेकिन बदले में स्टेशन पर पीने का पानी तक नहीं। अंडरपास में हमेशा जलजमाव, बैठने की व्यवस्था बदतर और सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं।