राजकुमार भगत
पाकुड़ | हूल क्रांति दिवस के अवसर पर सोमवार को पाकुड़ में कांग्रेस पार्टी ने वीर शहीद सिद्धो-कान्हो को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस जिलाध्यक्ष श्रीकुमार सरकार के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ता सिद्धो-कान्हो पार्क पहुंचे और आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस दौरान जिलेभर से जुटे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ऐतिहासिक क्रांति को लेकर विशेष उत्साह दिखा।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष श्रीकुमार सरकार ने कहा कि “हूल क्रांति 1857 की सिपाही विद्रोह से भी पहले आजादी की पहली मशाल थी, जिसे भारत की पहली जनक्रांति करार दिया गया है।” उन्होंने कहा कि सिद्धो-कान्हो जैसे वीर सपूतों ने न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी, बल्कि स्वदेशी महाजनी और जमींदारी व्यवस्था को भी चुनौती दी। उन्होंने कहा, “तीर-धनुष जैसे पारंपरिक हथियारों से लैस संथालों ने विदेशी हथियारों से लैस अंग्रेजी सेना से लोहा लिया। ‘अबुआ राज अबु दिशोम’ और ‘करो या मरो, अंग्रेजो हमारी माटी छोड़ो’ जैसे नारों ने आजादी की नींव रखी।”
श्री सरकार ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि पाकुड़ में बने मार्टिलो टावर उस समय के भय को दर्शाता है जब अंग्रेज इस विद्रोह से इतने डर गए थे कि आत्मरक्षा के लिए टावर का निर्माण कराना पड़ा। उन्होंने कहा कि सिद्धो-कान्हो की शहादत झारखंड ही नहीं, देशभर के आदिवासी संघर्ष की प्रेरणा है। इसीलिए हूल दिवस को झारखंड में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर कांग्रेस के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे जिनमें प्रमुख रूप से पाकुड़ प्रखंड अध्यक्ष मंशारुल हक, विधायक प्रतिनिधि गुलाम अहमद, कोषाध्यक्ष अशद हुसैन, अल्पसंख्यक अध्यक्ष शाहीन परवेज, महासचिव कृष्णा यादव, रामविलास महतो, नगर अध्यक्ष वंशराज गोप, सफीक अहमद, अहेदिन शेख, मीरजहन शेख, मानिक हसदा, ज़हरुल शेख, नजरुल शेख, मिथुन मरांडी, लाखफोर शेख, मो. बबलू, हंसनुज जमाद और तैमूर आलम शामिल थे।