जोश उजेर और अरीबा ने रखा पहला रोजा
राजकुमार भगत
पाकुड़ । आलम ए इस्लाम का पवित्र माह रमजानुल मोबारक का आगाज़ रविवार को अहले सुबह शहरी के साथ हुआ । दिन भर भूख प्यास की शिद्द्त बर्दाश्त कर सूरज डूबने के बाद रोजा खोला जाता है । रमजान रहमतों बरकतों और मगफिरत का महीना है । आलमे दिन बताते है कि इस माह के इबादत का शवाब दूसरी माह से 70 गुणा ज्यादा मिलता है। इसलिए इस माह में ज्यादा से ज्यादा रोजा जे साथ नमाज और ताराबी नमाज़ का एहतमाम करें । रोजा को लेकर बड़े के साथ बच्चे भी उत्साहित हैं। आशिफ जलाल के 8 साल पुत्री अरीबा आशिफ और शहीद के 8 साल का पुत्र उजेर शहीद ने रोजा रखा और इबादत की। अरीबा ने कहा की रोजा रखना अच्छा लगता है ।अल्लाह को राजी करने के लिए रोजा रखा है। वंही उजेर ने कहा की मेरे माँ बाप रोजा रखते है, मै भी रोजा रखा हूं ।अरीबा और उजेर के माता पिता ने कहा की बच्चो जे जिद के आगे रोजा रखने की इजाजत दी है।अल्लाह से दुआ है कि उनके रोजा को कबूल करे।

