अमडापाड़ा/पाकुड़: खान-पान की बदलती आदतें और शारीरिक गतिविधि की कमी लोगों को गंभीर बीमारियों की ओर धकेल रही हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमडापाड़ा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. खालिद अहमद ने चेतावनी देते हुए कहा कि वर्तमान समय में हृदय रोग, मधुमेह, लिवर और किडनी की बीमारियों के पीछे सबसे बड़ा कारण असंतुलित भोजन और व्यायाम से दूरी है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में हृदय रोग सहित अन्य बीमारियों के मरीजों पर किए गए अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि भोजन बनाने के गलत तरीके और अत्यधिक वसायुक्त आहार स्वास्थ्य को तेजी से नुकसान पहुंचा रहे हैं।
तेल-मक्खन और फास्ट फूड बना बीमारी की जड़
डॉ. खालिद अहमद के अनुसार, आजकल भोजन में मक्खन, चीज, रिफाइंड तेल और हाई-फैट सामग्री का अत्यधिक प्रयोग हो रहा है। पहले जहां लोग महीने में कभी-कभार फास्ट फूड या नॉनवेज खाते थे, वहीं अब सप्ताह में कई बार इसका सेवन आम हो गया है।
भोजन में बढ़ती वैरायटी के कारण लोग अनजाने में जरूरत से ज्यादा वसा ले रहे हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ रहा है और दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
कम उम्र में बढ़ रही गंभीर बीमारियां
चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि पहले लोग पैदल चलते थे और शारीरिक श्रम अधिक करते थे, लेकिन अब वाहन और आराम की आदतें हावी हो गई हैं। इसका नतीजा यह है कि मोटापा, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, डायबिटीज और किडनी फेलियर जैसी बीमारियां कम उम्र के लोगों को भी चपेट में ले रही हैं।
उन्होंने कहा कि शरीर में बढ़ता कोलेस्ट्रॉल समय से पहले मौत का बड़ा कारण बनता जा रहा है। स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर की साफ सलाह
डॉ. खालिद अहमद ने लोगों से जीवनशैली सुधारने की अपील करते हुए कहा—
रिफाइंड तेल, मक्खन और घी का कम उपयोग करें
भोजन में हरी सब्जियां और फाइबर युक्त आहार बढ़ाएं
उम्र के अनुसार रोजाना व्यायाम करें
भोजन के बाद कम से कम 30 मिनट टहलें
प्रतिदिन 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें
ठंड में बरतें विशेष सावधानी
उन्होंने कहा कि वर्तमान ठंड के मौसम में बुजुर्गों और हृदय रोगियों को खास सतर्कता बरतनी चाहिए। ठंड के कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए ऊनी कपड़े, मफलर और मोजे पहनकर शरीर को गर्म रखना जरूरी है।
आज जागरूक नहीं हुए तो कल मुश्किल होगा
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा कि संतुलित खान-पान और सक्रिय जीवनशैली ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है। यदि समय रहते लोग सतर्क नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ी को गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है।





