टॉप से टॉपर तक, डीसी ने रसोइयों को दिया पौष्टिक, स्वादिष्ट और स्वच्छ भोजन का मंत्र।
पाकुड़ | भोजन बनाते समय स्वाद, स्वच्छता और प्यार इन तीनों का ध्यान रखें, क्योंकि बच्चों के चेहरे की मुस्कान ही आपके कार्य की सबसे बड़ी सफलता है।। यह बात उपायुक्त मनीष कुमार ने रविवार को कही, जब वे प्रोजेक्ट परख 2.0 “टॉप से टॉपर तक का सफर” के तहत आयोजित रसोइया सह सहायकों के उन्मुखीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। रविंद्र भवन टाउन हॉल में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ उपायुक्त मनीष कुमार और जिला शिक्षा अधीक्षक नयन कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। उपायुक्त ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि विद्यालयों में परोसे जाने वाले मिड-डे मील की गुणवत्ता बच्चों के स्वास्थ्य और सीखने की क्षमता पर सीधा असर डालती है, इसलिए रसोइए अपनी जिम्मेदारी को गर्व और समर्पण के साथ निभाएं। उन्होंने रसोइयों से आग्रह किया कि “भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य को ऊर्जा देने का माध्यम है। मनीष कुमार ने यह भी निर्देश दिया कि जिन विद्यालयों में डीएमएफटी मद से बने किचन शेड में जल सुविधा उपलब्ध है, वहां भोजन निर्माण प्रक्रिया को स्थानांतरित किया जाए ताकि स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण में भोजन तैयार किया जा सके। उन्होंने रसोइयों को नवाचार अपनाने और बच्चों के स्वाद को ध्यान में रखते हुए पौष्टिक व्यंजन तैयार करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधीक्षक नयन कुमार ने रसोइयों को पोषण, स्वच्छता एवं खाद्य सुरक्षा से जुड़ी अहम जानकारियां दीं। कार्यशाला में बड़ी संख्या में रसोइया सह सहायकों ने भाग लिया और उपायुक्त के मार्गदर्शन से प्रेरित होकर संकल्प लिया कि अब वे बच्चों को पौष्टिक, स्वच्छ और स्वादिष्ट भोजन परोसने में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे।













