सुदीप कुमार त्रिवेदी
देश के युवा क्रांतिकारी ख़ुदीराम बोस के बलिदान दिवस के मौके पर पाकुड़ शहर के ख़ुदीराम बोस चौक स्थित क्रांतिकारी ख़ुदी राम बोस की प्रतिमा पर शहर के प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। मौके पर वरिष्ट अधिवक्ता निरंजन घोष ने कहा कि महान युवा क्रांतिकारी ख़ुदी राम बोस जिन्हें महज 18 साल 8 महीने और 8 दिन की उम्र में 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी गई थी। भारत के सबसे युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस देश के सबसे युवा क्रांतिकारी के रूप में जाने जाते हैं। 11 अगस्त का दिन खुदीराम बोस का बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने भारत पर अत्याचारी शासन करने वाले ब्रिटिश साम्राज्य पर पहला बम गिराया था।वहीं सेवानिवृत्त ए.डी.एम जगन्नाथ मंडल के कहा कि विश्व के युवाओं के प्रेरणास्रोत अमर शहीद खुदीराम बोस ने अपने वतन के लिए मात्र 20 वर्ष की आयु में ही हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था। वैसे भारत के वीर सपूत को हम सभी नमन करते हैं। पूर्व वार्ड पार्षद बेला मजुमदार ने कहा महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस सशस्त्र क्रांति का मार्ग अपनाया और उन्होंने मेदिनीपुर में एक छोटी शिक्षा के बाद एक सशस्त्र क्रांति की शुरुआत की। पाठशाला के जीवन में वंदे मातरम मंत्र के प्रभाव से उन्होंने भारत भूमि के स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया। मौके पर दुर्गा सोरेन सेना जिलाध्यक्ष उज्जवल भगत, काली शंकर भगत, कलिम खान, अरविंद भगत, सायन मजुमदार, के.सी.दास, दीपक भगत, ओम प्रकाश भगत श्याम भगत ने अमर शाहिद के आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया।
