6 करोड़ 38 लाख 52.350 रुपये खर्च कर बनी पानी की टंकी बनी सोभा की वस्तु, 9 साल बीतने के बाद कार्य अब तक अधूरा।
सतनाम सिंह
महेशपुर प्रखंड कार्यालय के समीप करोडों की लागत से बनी पानी टंकी इन दिनों शोभा की वस्तु बन कर रह गई है. महेशपुर में ग्रामीणों को नल से पानी मिलना सपना ही बनकर रह गया. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि नल से शुद्ध पेयजल पहुँचाने की सरकारी योजना टांय- टांय फिस्स साबित हो गई है. ग्रामीण जलापूर्ति योजना महेशपुर के सवा दो लाख आबादी के लिए पेयजल उपल्बध कराने के लिए महेशपुर प्रखंड कार्यालय के समीप बांसलोई नदी किनारे 6 करोड़ 38 लाख 52.350 रुपये खर्च कर विशालकाय पानी टंकी करीब सात साल पहले बनाई गई थी. लेकिन आज भी ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सूबे की सरकार की घोषणा और वादे जमीन पर नहीं उतरने के कारण आज के दिनों में महेशपुर प्रखंड के सवा दो लाख आबादी को अपनी पेयजल की जरूरत पूरी करने के लिए बोरिंग और परंपरागत जलस्रोतों पर ही आश्रित रहना पड़ रहा है. जहां ग्रामीण इलाकों में परंपरागत जलस्रोत, जिसमें कुआं, तालाब, बांसलोई व पगला नदी पर निर्भरता है. वहीं मुख्यालय इलाकों के अधिकतर लोग अपने घर की पेयजल की जरूरत पूरा करने के लिए बोंरिग पर निर्भर हैं. मुख्यालय में ही आज के दिनों में भी पाइपलाइन के सहारे पेयजल की जरूरत को पूरा करने में संबंधित अधिकारी विफल साबित हो गया है. ज्ञात हो कि महेशपुर जलापूर्ति योजना 2016 में चालू किया गया था. जिसमें कार्य समाप्ति की तिथि 07 दिसंबर 2018 को था. जहां हमसब प्यासे सात साल पार कर 2024 में उतरकर सितंबर महीने में चल रहे हैं, लेकिन हम सब अभी भी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. लेकिन संबंधित विभाग को इसका कोई खबर नहीं है.
हाथी का दांत साबित हो रही है, महेशपुर की पानी टंकी
क्षेत्र के जनता को पानी की आपूर्ति कराने के लिए करोडों की लागत से टंकी बनी हैं. इस समय पानी टंकी हाथी का दांत साबित हो रहीं हैं. महेशपुर में पानी टँकी के समीप से आए दिन बालू का उठाव, नदी में पानी न होने व लाइन में खराबी और बिजली संकट का दु:खड़ा रोने वाले विभागीय अधिकारी यदि जनता को पानी उपलब्ध कराने के लिए मन से प्रयास करें तो जनता की परेशानी काफी दूर हो सकती है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
- महेशपुर में जलापूर्ति योजना खाता कलम से चालू है, लेकिन हमलोगों को आज तक एक बूंद पानी तक नशीब नहीं हुआ. कहा कि हेमंत सरकार को इस योजना को पुनः चालू कर प्यासे महेशपुर वासियों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए.
पूर्णेन्दु सिंह, ग्रामीण - जलापूर्ति योजना में बनाए गए पानी टंकी महेशपुर में शोभा की वस्तु बनी हुई है. आज तक किसी को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. कहा कि महेशपुर के विधायक व आलाधिकारियों को इस करोडों की योजना को फिर से चालू कराने की आवश्यकता है.
संदीप भगत, ग्रामीण - ग्रामीण जलापूर्ति योजना ग्रामीणों के लिए नहीं रहा. कहा कि इस योजना में सिर्फ और सिर्फ ठीकेदार जैसे तैसे काम कर चले गए. कहा कि उक्त ठीकेदार के द्वारा महेशपुर मुख्यालय की सड़कों को खोदकर आधा अधूरा काम कर चला गया है, जो आज भी हमलोगों को भुगतना पड़ रहा है.
अली रेजा उर्फ मिठू, ग्रामीण - महेशपुर में जलापूर्ति योजना का लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल सका. लोगों से 300 से 350 तक कनेक्शन कराने के लिए पैसा लिया गया था. लेकिन पाईप ओर नल का कनेक्शन में आज तक पानी की एक बूंद तक नहीं आयी. कहां कि विभाग को इस योजना को लेकर संज्ञान लेते हुए पुनः योजना का लाभ ग्रामीणों तक पहुँचानी चाहिए.
नितिन भगत, ग्रामीण