राजकुमार भगत
पाकुड़। नगर के सबसे प्राचीन और भव्य दुर्गा पूजा आयोजनों में शामिल सरस्वती पुस्तकालय, भगत पाड़ा की पूजा इस बार “मयूर महल” थीम पर आयोजित होगी। लगभग 135 से 140 वर्ष पुरानी इस पूजा की शुरुआत एक साधारण तस्वीर से हुई थी, जो अब विराट रूप ले चुकी है। नवरात्रि 22 सितंबर से प्रारंभ हो रही है और इसे लेकर पूरे जिले में पंडाल निर्माण अंतिम चरण में है। सरस्वती पुस्तकालय का पंडाल इस बार विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा। “मयूर महल” थीम के जरिए राष्ट्रीय पक्षी को सम्मान देने की परंपरा दिखाई जाएगी। प्राचीन समय में राजा-महाराजा अपने महलों को मयूर पंखों से सजाते थे, उसी की झलक इस पंडाल में देखने को मिलेगी। प्रतिमा निर्माण का जिम्मा तलवा डंगा के प्रसिद्ध शिल्पकार नोनी पाल ने संभाला है, जो पूरे समर्पण से मां दुर्गा की प्रतिमा को मूर्त रूप दे रहे हैं। पंडाल में भव्य तोरण द्वार, आकर्षक लाइटिंग और सजावट की विशेष व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं के लिए अनवरत प्रसाद वितरण होगा और पूरे पंडाल परिसर को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
आयोजकों का कहना है कि इस बार पूजा की तैयारी बेहद भव्य स्तर पर की जा रही है और खर्च भी काफी बढ़ा है। कुल मिलाकर, सरस्वती पुस्तकालय की यह पूजा इस बार भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनेगी।