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October 16, 2025 11:53 pm

पत्थर खादान की नौकरी छोड़ मुर्गी पालन व्यवसाय को बनाया आय का मुख्य जरिया

बजरंग पंडित

मेहनत करने वाले की कभी हार नही होती इस कहावत को चरितार्थ करने के लिए पाकुड़ जिला के हिरणपुर प्रखंड से माहोरो गांव की कर्मीला टुडू ने गाँव में मुर्गी पालन व्यवसाय को अपनाकर स्वरोजगार से जुड़ कर बन रही है आत्म निर्भर , कर्मिला झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा संचालित सखी मंडल से जुड़कर उन्नति आजीविका संसाधन केंद्र हिरणपुर से प्रशिक्षण ले कर कर रही है मुर्गी पालन । कर्मिला ने बताया कि प्रशिक्षण के पस्चात मैंने सभी से अलग हटकर रोजगार करने की मन बना ली थी । जिससे गाँव में रहकर स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार अपना कर मुझे आत्मनिर्भर के साथ साथ समाज में बीमारियों से ग्रसित लोगों को नेचुरल अंडा के साथ चिकेन उपलब्ध कराकर उन्हे मदद करना था। जो की ये प्रयास अब रंग ला रही है। दीदी ने बताई की मुझे रोजगार के लिए पत्थर खादान का का सहारा लेना पड़ता था , लकीन सखी मंडल से जुड़ने के बाद जीवन जीने का तरीका ही बदल गया। तथा सखी मंडल से जुड़कर ऋण लेकर खुद का स्वरोजगार स्थापित किए। कर्मिला ने बताया की झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा संचालित आजीविका संसाधन केंद्र से कम दिनों के प्रशिक्षण लेकर मुर्गी पालन करने की मन ठान ली थी ताकि समाज में लोगो के लिए आइडियल बन सके। दीदी ने बताई की मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है हिरणपुर प्रखंड के माहरो की कर्मीला टुडू ने।गांव में मुर्गी पालन कर स्वरोजगार करने की ठानी और शाल के जुलाई माह में मुर्गियों को बड़ा करके बेची और अच्छा की कमाई की। कर्मिला ने बताया कि उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात दूसरे लोगों से अलग हटकर रोजगार करने का मन बनाया। गांव में ही रहकर स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया। उसने गांव में ही हार्डिग सैंटर खोलने का निर्णय लिया। जिसकी सुरूवात कर्मिला ने अपने घर में 25 गुणा 20 फीट का छोटा से कमरा से ही शुरुवात किया।तथा सोनाली प्रजाति के मुर्गियों आजीविका संसाधन केंद हिरणपुर से लेकर व्यवसाय को शुरू किया। महज महीनों में ही कर्मिला ने बताया कि फिलहाल एक मुर्गी, मुर्गों का उन्हें बाजार में चार से पांच सौ रुपये मिला है। जो की इन कुछ महीनो में अच्छा मोटी रकम कमाई की । साथ ही बचे कई मादा मुर्गियों को अंडा के लिए पाल रही ही । बाजार में प्रति अंडा इन्हें 12 से 15रुपये हैं। कर्मिला ने बताया कि मेरा उद्देश्य समाज में बीमारियों से ग्रसित लोगों को नेचुरल अंडा के साथ चिकेन उपलब्ध कराना है। कर्मिला ने ये भी बताया कि उनका अगला मिशन मछली पालन के साथ केचुआ खाद करना है। ताकि जैविक खाद तैयार कर खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सके।

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