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देहरादून. उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में हुआ हादसा कोई प्राकृतिक घटना नहीं है. बल्कि ये इंसान की खड़ी की हुई तबाही है. साढे़ चार किलोमीटर लंबी इस टनल को NHIDCL की देखरेख में दो कंपनियां बना रही हैं. फ्रंट साइट से नवयुगा कंपनी काम कर रही है, तो टेल साइट से गजा कंपनी सुरंग बना रही है. आपको सिलसिलेवार बताते हैं कि अब तक इस पूरे ऑपरेशन में क्या हुआ.
गंगोत्री और यमनोत्रीधाम के बीच यमनोत्री हाईवे पर रॉडी टॉप में बनाई जा रही इस साढे़ चार किलोमीटर लंबी सुरंग से इन दोनों स्थानों के बीच 26 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी. इससे 45 मिनट का समय भी बचेगा. ये टनल सिल्कयारा फ्रंट साइट से 2340 मीटर और टेल साइट से 1700 मीटर काटी जा चुकी है. दुर्घटना फ्रंट साइट से नवयुगा कंपनी के हिस्से में हुई.
पहली लापरवाही
निर्माणाधीन टनल में पहली जो लापरवाही बरती गई वो ये कि इसमें स्केप टनल नहीं बनाई गई. टनल के जिस साठ मीटर हिस्से में लूज फॉल हुआ, उस हिस्से में लाइनिंग का कार्य नहीं हुआ था. इस हिस्से में कई दिन से पानी की लीकेज और लूज गिर रहा था. लेकिन कंपनी ने ध्यान नहीं दिया. पूरी टनल में कहीं भी बायपॉस टनल नहीं बनाई गई थी.
कंपनी को नहीं पता था उसके कितने श्रमिक फंसे
कंपनी की एक के बाद एक कई लापरवाही सामने आयीं. कंपनी के दो फोर मैन सहित 41 श्रमिक अभी भी अंदर फंसे हुए हैं. लेकिन कंपनी के पास कई दिन तक सटीक जानकारी नहीं थी कि उसके कितने श्रमिक अंदर हैं. 12 नवंबर की सुबह टनल में मलबा गिरा. कंपनी ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के पहले अलग-अलग आंकड़े दिए. कुछ घंटों बाद बताया गया कि चालीस श्रमिक फंसे हुए हैं.करीब पांच दिन बाद 17 नवंबर को जानकारी दी गई कि चालीस नहीं 41 श्रमिक फंसे हुए हैं.
अफसर दीवाली मना रहे थे
घटना के दिन कोई बड़ा अफसर मौके पर नहीं था. अधिकांश दीपावली की छुटटी पर थे. नतीजा कई घंटों तक दुर्घटना की गंभीरता का अंदाज नहीं लग पाया. शुरूआती दौर में जिला प्रशासन और कंपनी के लोगों में कॉआर्डिनेशन की भारी कमी देखी गई. जिला प्रशासन को स्टेटस रिपोर्ट तक नहीं दी जा रही थी. नतीजा 15 नवंबर को एडीएम उत्तरकाशी तीरथ पाल सिंह को कंपनी के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर को नोटिस भेजकर कहना पड़ा कि हर दो घंटे में आप जिला प्रशासन को स्टेटस रिपोर्ट दें, वरना किसी भी लापरवाही के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे.
पीएमओ ने संभाली कमान
16 नवंबर को केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने ऑपरेशन साइट का दौरा किया. उनके साथ सचिव अनुराग जैन समेत चीफ इंजीनियर राहुल गुप्ता भी मौजूद थे. 18 नवंबर को पीएमओ की ओर से पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे और पीएमओ के डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल को मौके पर भेजा गया. इसके साथ ही पीएमओ ने पूरे ऑपरेशन की कमान अपने हाथ में ले ली. 19 नवंबर को केंदीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऑपरेशन साइट का दौरा किया. इसके साथ ही ऑपरेशन में तेजी आयी. टनल को भेदने के लिए छह प्लान पर काम शुरू हुआ.
20 नवंबर को मिली राहत
सोमवार बीस नवंबर को पहली अच्छी खबर मिली. छह इंच का 57 मीटर लंबा लाइफ सपोर्ट पाइप टनल के आरपार हुआ. इसके जरिए श्रमिकों तक पर्याप्त मात्रा में भोजन सप्लाई होना लगा. 21 नवंबर को टनल से पहला वीडियो आया सामने. यहां भी कॉआर्डिनेशन की कमी देखी गई. जिला प्रशासन को बताए बिना वीडियो पहले ही मीडिया में वायरल कर दिया गया. इस पर जिला प्रशासन की ओर से एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया और इसके बाद हुई सख्ती के तहत पूरे ऑपरेशन की अपडेट ब्रीफिंग दिल्ली में होने लगी.
सीएम ने डेरा डाला
मंगलवार को ही आरा मशीन ने भी काम शुरू किया. पूरा ऑपरेशन टनल के अंदर बोरिंग करने पर केंद्रित हुआ. बुधवार को ब्रेक थ्रू की उम्मीद बंधी. लेकिन बोरिंग में अड़चन आने से कुछ निराशा हाथ लगी. इस बीच गुरूवार को तीसरी बार ऑपरेशन साइट पर सीएम पुश्कर सिंह धामी पहुंचे. उन्होंने श्रमिकों से बातचीत की. सीएम ने उत्तरकाशी में डेरा डाल दिया है. उत्तरकाशी के मातली में कैंप बना लिया है. जब तक ऑपरेशन सफल नहीं हो जाता तब तक वो वहीं रहेंगे.
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FIRST PUBLISHED : November 23, 2023, 19:47 IST
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