सूर्या हांसदा कोई समाजसेवी नहीं, दो दशक से सक्रिय अपराधी सरगना था: हेमलाल
पाकुड़: सूर्या हांसदा के एनकाउंटर को लेकर विपक्षी दलों ने जहां पुलिस और सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं, वहीं झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता व विधायक हेमलाल मुर्मू ने तथ्यों के साथ जवाब दिया है। उन्होंने साफ कहा कि सूर्या हांसदा को समाजसेवी या जननेता की संज्ञा देना सच से मुंह मोड़ना है। दरअसल, बीते दो दशकों में उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, रंगदारी, आर्म्स एक्ट और आगजनी जैसे 25 से अधिक संगीन मुकदमे दर्ज थे।मुर्मू ने वर्षवार आंकड़े साझा करते हुए बताया कि 2003 से 2025 तक सूर्या लगातार आपराधिक गतिविधियों में सक्रिय रहा। गोड्डा और साहिबगंज जिले उसके आपराधिक साम्राज्य के प्रमुख ठिकाने बने। दर्ज मुकदमों में हत्या के छह, अपहरण के पांच, रंगदारी के तीन, हत्या के प्रयास के दो, डकैती की योजना का एक, आर्म्स एक्ट के पांच और आगजनी के तीन मामले शामिल हैं। कई मामलों में आरोपपत्र दाखिल हुआ तो कई में वह फरार अभियुक्त के रूप में दर्ज रहा।झामुमो प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जिस व्यक्ति की दहशत से आदिवासी समाज तक भयभीत था, उसके लिए सहानुभूति जताना क्षेत्र की जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। उन्होंने तर्क दिया कि एनकाउंटर के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि सूर्या हांसदा का नाम ही दहशत का पर्याय बन गया था.
माफिया के खिलाफ खड़े रहने पर निशाना: विपक्ष
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सूर्या कोयला और बालू माफिया के खिलाफ खड़े थे, इसलिए उन्हें निशाना बनाया गया। मरांडी ने कहा कि सत्ताधारी दल के लोग सूर्या हांसदा के खिलाफ दर्ज केसों का हवाला दे रहे हैं। जबकि, 24 में से 14 मामलों में वह बरी हो चुके थे। उन्होंने दावा किया कि हेमंत सोरेन सरकार में 2020 से 2025 के बीच सूर्या के ऊपर 9 नए केस दर्ज किए गए।

