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परमजीत कुमार/देवघर.छठ एक ऐसा महापर्व है जिसमे उगते सूर्य के साथ साथ ढलते सूर्य को भी अर्ध्यदिया जाता है. सभी पर्व त्यौहार के व्रत में छठ का व्रत सबसे कठिन माना जाता है. इस पर्व में पुरुष से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी रहती है. ज्यादातर महिलाएं ही यह पर्व करती हैं. ऐसे में मन में सवाल आता है कि इस पर्व में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा क्यों होती है, क्या पुरुष भी इस पर्व को कर सकते हैं? इस संबंध में लोकल 18 ने देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिचार्य से बातचीत की….
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा है कि छठ पर्व17 नवंबर से शुरू होने वाला है. यह 4 दिनों तक चलता है. छठ महापर्व पूरे शुद्धता है साथ मनाया जाता है. इस पर्व मे भगवान सूर्य और छठ मैया की उपासना की जाती है. इस दिन माताएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए भगवान सूर्य और छठी मैया से आराधना करती हैं. पुरुषों की तुलना मे इस पर्व में महिलाओंकी भागीदारी ज्यादा होती है.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य
ज्योतिष आचार्य आगे कहा कि कोई भी पर्व त्यौहार में महिलाएं की भागीदारी ज्यादा होती हैं. पुरुष बाहर के कामों में व्यस्त रहते हैं. वहीं छठ पूजा में 36 घंटे निर्जला उपवास रहना पड़ता है. वहीं यह कठिन व्रत सिर्फ महिलाएं ही कर सकती हैं. महिलाओं में सहन शक्ति बहुत ज्यादा होती है. वहीं छठ पूजा मे संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है और माताए ही हमें जन्म देती है. इसलिए छठ महापर्व मे महिलाओं की भागीदारी ज्यादा होती है.
क्या पुरुष भी कर सकते है छठ व्रत
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि बेशक छठ महापौर में ज्यादातर महिलाओंकी भागीदारीहोती है. महिलाएं ही छठ व्रत करती हैं. लेकिन ऐसा कहीं नहीं उल्लेख है कि पुरुष छठ व्रत नहीं कर सकते हैं. छठ महापर्व में निर्जला उपवास पुरुष भी रख सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 16, 2023, 13:15 IST
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