राजकुमार भगत
पाकुड़: चार दिवसीय लोक आस्था और शुद्धता के महापर्व छठ का आज से आरंभ हो गया है। यह पर्व भगवान भास्कर को समर्पित है और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, 25 अक्टूबर से प्रारंभ होकर सप्तमी तिथि 28 अक्टूबर तक चलेगा। मान्यता है कि छठ व्रत करने से श्रद्धालुओं को संतान सुख, समृद्धि और लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
पहला दिन – नहाय-खाय (25 अक्टूबर),
आज छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हुई। व्रती इस दिन शुद्धता और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखते हैं। गंगा स्नान के बाद मिट्टी के चूल्हे में शुद्ध चना की दाल, घी या सरसों तेल में बनी कद्दू की सब्जी और अरवा चावल का भात प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:26 से 2:32 बजे तक।
दूसरा दिन – खरना (26 अक्टूबर),
छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाएगा। व्रती दिनभर निर्जला उपवास करती हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे और शुद्ध बर्तन में गुड़ की खीर बनाई जाती है। सूर्य देव को खीर अर्पित करने के बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन नमक वर्जित रहता है और रात्रि में ठेकुआ आदि प्रसाद तैयार किया जाता है।
शुभ मुहूर्त: शाम 5:42 बजे।
तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर),
तीसरे दिन व्रती उपवास रहकर अपने नजदीकी नदी, तालाब या जलाशय पर सूप में प्रसाद लेकर सूर्य देव को अस्ताचलगामी अर्घ्य देते हैं। सूप को पश्चिम दिशा में रखकर घी का दीपक जलाकर सूर्य देव की पूजा की जाती है।
शुभ समय: संध्या 5:40 बजे।
चौथा दिन – उषा अर्घ्य (28 अक्टूबर),
अंतिम दिन उषा अर्घ्य के साथ छठ पर्व संपन्न होगा। व्रती प्रातःकाल अपने घाट पर सूप और दौरा लेकर पूर्व दिशा में दीप जलाकर सूर्य देव को दूध और गंगाजल से अर्घ्य अर्पित करेंगी। सूप में नारियल, सूतनी, फल, ठेकुआ, किचनिया, ईख, हल्दी आदि समर्पित किए जाएंगे। महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाएंगी और बड़ों से आशीर्वाद लेंगी। इसी के साथ चार दिन से चला छठ महापर्व प्रसाद वितरण और पूजा-अर्चना के साथ संपन्न होगा। शुभ समय: सुबह 6:30 बजे।
छठ घाट की तैयारी जोरों पर।
जिलेभर के घाटों को सजाया जा रहा है। विद्युत बल्ब और पारंपरिक सजावट से घाट रंग-बिरंगे दिखाई दे रहे हैं। श्रद्धालु और पर्यटक इस महापर्व में भाग लेने के लिए घाटों पर जुट रहे हैं।













