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July 27, 2025 5:18 pm

तालों में कैद स्वच्छता, सालों से बंद पड़ा सामुदायिक शौचालय, ग्रामीण आज भी खुले में शौच को मजबूर।

अमड़ापाड़ा प्रखंड मुख्यालय में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 15वीं वित्त आयोग की राशि से लाखों की लागत से बनाया गया सामुदायिक शौचालय वर्षों से बंद पड़ा है। शौचालय के दरवाजों पर ताले लटक रहे हैं, और चाभी का कोई अता-पता नहीं है। नतीजा यह है कि यह शौचालय अब सिर्फ दीवारों और दरवाजों की शोभा बनकर रह गया है, जबकि ग्रामीणों को आज भी खुले में शौच जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय निर्माण के बाद से ही इसे कभी चालू नहीं किया गया। ऐसे में यह स्वच्छ भारत मिशन की मूल भावना के विपरीत है, जहां खुले में शौच से मुक्ति दिलाने की बात की गई थी। योजना का उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्रों को खुले में शौच से मुक्त किया जाए, लेकिन यहां हकीकत इसके उलट है। शौचालय निर्माण के बाद न उसकी देखरेख हुई, न ही संचालन की कोई व्यवस्था बनाई गई। ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय बंद होने की वजह से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को खास तौर पर परेशानी उठानी पड़ती है। बारिश के मौसम में तो हालात और बदतर हो जाते हैं। सरकारी पैसे से अगर शौचालय बना है और वह जनता के किसी काम नहीं आ रहा तो यह सीधे-सीधे संसाधनों की बर्बादी है। योजना की सफलता पर भी यह सवालिया निशान है कि आखिर निर्माण के बाद इसकी जिम्मेदारी किसकी थी।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि शौचालय निर्माण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। स्थानीय पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने निर्माण के बाद कभी मुड़कर नहीं देखा। ताले लगे हैं, सफाई नहीं होती, पानी की व्यवस्था नहीं है और न ही कोई जिम्मेदार व्यक्ति है जो इसे संचालित करे। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि बंद शौचालय को जल्द से जल्द खोला जाए और नियमित सफाई व संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि खुले में शौच से मुक्त किया जा सके।

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