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November 21, 2025 7:27 pm

गोचर जमीन पर अवैध निर्माण, सुरेश अग्रवाल बोले—जिला प्रशासन करे कार्रवाई, वरना जाएंगे हाईकोर्ट।

आंगनबाड़ी केंद्र में सालभर रहता है जलजमाव,सबका साथ सबका विकास वाली कहानी नहीं चलेगी, सुरेश अग्रवाल।

पाकुड़ प्रखंड के चाँचकी उर्फ रघुनंदनपुर पंचायत में नव-निर्मित आंगनबाड़ी केंद्र को लेकर गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश अग्रवाल का आरोप है कि केंद्र का निर्माण स्वीकृत परती जमीन पर नहीं, बल्कि गोचर भूमि पर कर दिया गया। यह वही जमीन है जहां साल के बारहों महीने जलजमाव रहता है, जिसके कारण यह आंगनबाड़ी केंद्र आज तक खुल ही नहीं पाया।

परती जमीन की स्वीकृति… निर्माण गोचर भूमि पर

जानकारी के मुताबिक, आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण की स्वीकृति प्रखंड विकास कार्यालय (BDO) से ली गई थी। मुखिया द्वारा निर्माण के लिए परती भूमि की अनुमति दी गई थी। लेकिन निर्माण स्थल बदलकर इसे पशुओं के चरने वाली गोचर जमीन पर खड़ा कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि जमीन परिवर्तन की प्रक्रिया बिना किसी अनुमति और सर्वेक्षण के कर दी गई।

सालभर पानी, केंद्र आज तक बंद

ग्रामीणों के अनुसार, जिस जगह पर केंद्र बना है वहां लगातार जलजमाव की स्थिति रहती है। परिणामस्वरूप आंगनबाड़ी भवन बन तो गया, लेकिन कभी संचालित नहीं हो पाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि भवन बनने के बाद से ही वह पानी में डूबा रहता है और बच्चों के आने-जाने तो दूर, भवन में प्रवेश करना भी मुश्किल है।

सरकारी राशि की खुली बर्बादी, सुरेश अग्रवाल

सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश अग्रवाल ने कहा कि सरकारी राशि का खुलेआम दुरुपयोग हुआ है। परती जमीन की जगह गोचर भूमि पर भवन बनाना खुद में बड़ी अनियमितता है। ऊपर से जिस जगह सालभर पानी भरा रहता है, वहां आंगनबाड़ी केंद्र का कोई मतलब ही नहीं बचता। यह पूरी तरह सरकारी धन की बर्बादी है। अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने इस मामले को लेकर कई बार व्हाट्सऐप, प्रिंट मीडिया और अन्य माध्यमों से जिला प्रशासन को शिकायतें भेजीं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

उच्च स्तरीय जांच की मांग

अग्रवाल ने जिला प्रशासन से तत्काल जांच टीम गठित करने, निर्माण स्थल के चयन में हुई अनियमितताओं की जांच करने और दोषी अधिकारियों–ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है तो वे झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने को मजबूर होंगे।

ग्रामीणों की भी यही मांग

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गांव के लोगों का कहना है कि बच्चों के लिए बना यह केंद्र शोपीस बनकर रह गया है। ग्रामीणों ने भी इस मामले की जांच और सुधारात्मक कार्रवाई की मांग प्रशासन से की है।

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