पुलिस द्वारा आदिवासी छात्रों की बेरहमी से पिटाई की सदस्यों ने किया निंदा
आदिवासियों के हित में प्रशासन व सरकार से रखी कई मांगे
बजरंग पंडित पाकुड़।
पाकुड़: सोमवार को यूथ क्लब पाकुड़िया के कार्यालय में सभी पदेन सदस्य एवं सभी सक्रिय सदस्यों की विशेष बैठक बुलाई गई। जिसमें 26 जुलाई को मध्य रात्रि के समय के केकेएम कॉलेज पाकुड़ के आदिवासी कल्याण छात्रावास में आदिवासी छात्रों के साथ कथित पुलिस प्रशासन के द्वारा बर्बरता पूर्ण अमानवीय एवं जघन्य तरीके से जानलेवा हमला की गई। जिसका यूथ क्लब पाकुड़िया, पाकुड़ कड़ी निंदा करती है। दोषी पुलिस अधिकारियों पर अभिलंब कार्रवाई की मांग करती है ताकि इस तरह की जघन्य कृत्य का पुनरावृत्ति ना हो। यूथ क्लब पाकुड़िया उन सभी आदिवासी छात्रों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु निम्नलिखित मांगे रखती है।
- छात्रावास में रह रहे आदिवासी छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? अगर पुलिस छात्रों की रक्षक है तो भक्षक कैसे बन सकती है? इसी दमनकारी पुलिस की क्या औचित्य है सरकार जवाब दे।
- आदिवासियों का गैर आदिवासियों द्वारा जमीन हड़पा जा रहा है। विरोध करने पर आदिवासी पर ही हमले एवं केस हो रहे हैं। इस तरह की अत्याचार और शोषण के विरोध में आदिवासी छात्रों द्वारा लोकतंत्र तरीके से विरोध प्रदर्शन करना कोई अपराध नहीं है तो किस परिस्थिति में पुलिस ने छात्रावास में रात 12:30 बजे धाबा बोला? इसकी समुचित जांच कर दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित किया जाए.
- छात्रों के सिरों पर चोटे गंभीर है और यह पुलिस की अमानवीय कृत है. घायल छात्रों के इलाज के लिए सरकार तत्काल घायल छात्रों को पांच-पांच लाख रुपया की स्वास्थ्य क्षतिपूर्ति की राशि स्वीकृत प्रदान करें.
- छात्रावास पर हमले से महाविद्यालय का शैक्षणिक माहौल बिगड़ा है. छात्र भाग रहे हैं और कई लापता भी है. छात्रों में भय व्याप्त है। झारखंड पुलिस आदिवासी छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में बाधा बन गई है। मामला गंभीर है और असभ्य है। देसी पुलिस अधिकारी और संलिप्त पुलिस बलों पर अविलंब कार्रवाई हो।
- पुलिस द्वारा उल्टे विद्यार्थियों पर ही मनगढ़ंत आरोप लगाकर विभिन्न धाराओं सहित केस दर्ज किया गया है। विद्यार्थियों को सभी बेबुनियाद आरोपी से मुक्त किया जाए और शैक्षिक माहौल को पूर्ण बहाल किया जाए।
- यूथ क्लब पाकुड़िया सरकार से यह मांग भी करती है कि नोटरी के द्वारा दान पत्र के माध्यम से अवैध रूप से आदिवासी जमीन हस्तांतरण पर तुरंत रोक लगाएं और हड़पी गई आदिवासीयों की जमीन वापसी के लिए त्वरित कार्रवाई करें। संथाल परगना के काश्तकारी अधिनियम के तहत आदिवासी जमीन अहस्ताक्षरणीय है। नोटरी पब्लिक द्वारा जमीन की हेरा फेरी पर सरकार संज्ञान ले और तत्काल रोक लगाने की दिशा में पहल करें।
- विवाहित आदिवासी महिलाओं के जाति प्रमाण पत्र अपने पिता से बनने संबंधी प्रावधान पर रोक लगे। इसके चलते आदिवासी को मिले आरक्षण का लाभ गैर आदिवासी उठा रहे हैं। आदिवासी ठेके जा रहे हैं एवं अपमानित है। सरकार अध्यादेश लाकर आदिवासियों को मिले आरक्षण को सुरक्षित करने की दिशा में तत्काल कदम उठाए।
- पाकुड़ पुलिस की गैर जिम्मेदाराना और कायरतापूर्ण कार्रवाई की युद्ध क्लब पाकुड़िया पाकुड़ कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है। शैक्षिक सामाजिक और राजनीतिक माहौल को बिगाड़ना वाली नकारा एवं पुलिस प्रशासन की कोई औचित्य व आवश्यकता नहीं है। दोषी पुलिस अधिकारी और संलिप्त पुलिस वालों पर अविलंब कठोर कार्रवाई की जाए।
मौके पर क्लब के महासचिव फ्रांसिस हसदा, अध्यक्ष गिल्बर्ट हांसदा, उपाध्यक्ष कार्नेलियस मरांडी, सचिव रवींद्र मरांडी, उपसचिव प्रेम प्रकाश किस्कु, कोषाध्यक्ष शिवचरण मुर्मू, अप अध्यक्ष कीनु सोरेन, सदस्य सुभाष किस्कु, बिरनत किस्कु, राजेश हेंब्रम, प्रेमचंद सोरेन, महादेव मरांडी, प्रकाश टुडू, सरजेन किस्कु, समेत अन्य लोग मौजूद रहे।