भौरीकोचा मंदिर और सातबेहड़ा घाट पर सुबह से उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़।
एस कुमार
पाकुड़। कार्त्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर बुधवार को प्रखंड के बांसलोई नदी तट स्थित भौरीकोचा मंदिर और बिस्टुपुर-सातबेहड़ा गांव के घाट पर आस्था का सागर उमड़ पड़ा। साफा होड़ समुदाय के सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने अहले सुबह पवित्र नदी में स्नान कर शिव, चांद, गंगा, सूर्य, काली और राम की पारंपरिक विधि से पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना का नेतृत्व कर रहे पुरखा बाबा सुनील हांसदा ने बताया कि कार्त्तिक पूर्णिमा हमारे समुदाय का सबसे बड़ा धार्मिक पर्व है। इस दिन स्नान, पूजा और दान करने की सदियों पुरानी परंपरा रही है। श्रद्धालु स्नान के बाद भगवान की आराधना कर नदी में दान देते हैं, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। सुबह से ही घाटों पर पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन और श्रद्धालुओं की भीड़ से पूरा माहौल भक्ति में डूब गया। महिलाएं पारंपरिक परिधान में पूजा सामग्री लेकर पहुंचीं, वहीं पुरुषों ने सामूहिक रूप से धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए। शाम तक श्रद्धालु पवित्र स्नान और पूजा-अर्चना में लीन रहे। भक्ति, परंपरा और आस्था का अनोखा संगम रहा कार्त्तिक पूर्णिमा का पर्व।











