– आए दिन यहां होती रहती है घटनाएं
गोड्डा : गोड्डा जिला स्थित ललमटिया कोयला खदान में हुए लैंड स्लाइडिंग के दौरान दो हाईवा दुर्घटना ग्रस्त हुई थी। जिसका चालक और उपचालक का अब तक कोई अता पता नहीं चला है। वे सुरक्षित है या जमींदोज हो गए या दुर्घटना के बाद कहीं फरार हो गए इसकी भी जानकारी नहीं है। मगर एक बात स्पष्ट है कि यहां उत्खनन कार्य घोर लापरवाह तरीके से किया जा रहा है। खदान प्रभावित क्षेत्र का गांव हो या गांव का मुख्य मार्ग, उत्खनन के लिए जो पैमाना तय किया गया है वो यहां कही भी नहीं दिख रहा है। आउटसोर्सिंग कंपनी प्रबंधक हो या राजमहल महाप्रबंधक, सभी सुरक्षा नियमो को ताक पर रख कर यहां उत्खनन कार्य करते हैं। बीते वर्ष 2016 के हादसे से भी इन लोगो ने कोई फर्क नहीं पड़ा। पत्रकार के द्वारा पड़ताल में जो बाते सामने आई है उससे यह स्पष्ट है कि आउटसोर्सिंग कंपनी परियोजना विस्तारीकरण एवं कोल उत्खन के लिए उन तमाम सीमाओं को लांघ कर यहां कार्य करने पर अमादा है जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से मनाही है। इनके लिए आमलोगों के जान माल की सुरक्षा कोई मायने नहीं रखती। माइनिंग रूल के मुताबिक अगर हम बात करे तो 10 फीट का डाउन बैंच हर दस फीट के बाद छोड़ा जाना है। लेकिन यहां इन नियमों की धज्जियां उड़ाकर डीप जोन तक उत्खनन किया जाता है। खनन के क्रम में यहां 20 फीट के बाद जल स्रोत उभर कर बाहर निकलने लगते है जो तस्वीरों को देख कर स्पष्ट समझा जा सकता है। माइंस के भीतर पूरे बैंच में जल रिसाव होता है जो लेंड स्लाइडिंग का मुख्य कारण है। उपरी छोर पर मुख्य मार्ग है और नीचे डीप जोन, बैंच की दशा भी वैसी ही है। ऐसे में मुख्य मार्ग माइंस में कब स्लाइड कर जायेगा यह संभावना हमेशा बनी रहती है। यहां किस तरह माइनिंग रूल की धज्जियां उड़ाई जा रही है यह कटा हुआ मुख्य मार्ग इस बात का सबूत है। इस पूरे मामले पर जब हमने बोआरीजोर प्रखंड प्रमुख जसिंता हेंब्रम से बात की तो उन्होंने चौकाने वाली बात बताई। उन्होंने कहा कि यहां लैंड स्लाइडिंग की यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी कई बार इससे भी बड़े बड़े हादसे घटित हो चुकी है। मगर जिला प्रशासन कारवाई के बजाय मौन साध लेती है और मामला रफा दफा कर दिया जाता है। ईसीएल मैनेजमेंट सुरक्षा नियमों को ताक पर रख कर काम कर रही है। प्रमुख ने कहा कि ललमटिया बोआरीजोर मुख्य मार्ग को टू लेन सड़क था, जिसमे बड़ी बड़ी गाड़ियां चलती थी। पर लैंड स्लाइडिंग के कारण आधी सड़क धस कर नीचे चली गई। बाकी बची हुई सिंगल लेन सड़क पर लोग और बड़ी बड़ी गाड़ियां का आगमन हो रहा है। जहां किसी के साथ भी बड़ी दुर्घटना हो सकती हैं। इस पर इसीएल मैनेजमेंट और जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। इसीएल अपने मन माने तरीके से खदान चला रही है और जमीन अधिग्रहण कर रही है। चाहे यहां कोई घटना दुर्घटना हो जाए या फिर क्षेत्र के लोग अपना जीवन यापन कैसे करेंगे इससे इसीएल को कोई लेना-देना नहीं है। यहां कोई भी घटना या दुर्घटना घटती है तो इसका जिम्मेदार केवल इसीएल मैनेजमेंट होगें। जिम्मेदारी इसीएल की है जिसे इन्हें देखना चाहिए और ईमानदारी पूर्वक नियमों को निर्वाहन करना चाहिए पर ऐसा नियम कही लागू होता नही दिख रहा है। खदान में होने वाली हर छोटी बड़ी घटना हर जगह प्रकाशित होती रही है और सभी को इन घटनाओं की जानकारी मिल जाती है। बावजूद मैनेजमेंट और जिला प्रशासन हमेशा चुप्पी साधी रहती है। इससे यह प्रतीत होता है जिला प्रशासन ईसीएल प्रबंधन के आगे बौनी है।