प्रशांत मंडल
लिट्टीपाड़ा (पाकुड़)प्रखंड के लेटबाड़ी गांव स्थित आयोजित श्री राम चरित्र मानस कथा के छठा दिन कथा वाचिक लक्ष्मी रानी जी ने भगवान श्रीराम के राम के वनवास गमन का वर्णन किया। कथावाचक ने कहा कि जब-जब धरती पर पाप व पापियों का अत्याचार बढ़ा, भगवान ने अवतार लेकर पापियों का संहार किया है। कमोवेश सभी युगों में धर्म व अधर्म के बीच लड़ाई हुई है व हमेशा धर्म की विजय हुई है।कहा कि कलियुग में मोक्ष प्राप्ति का एक मात्र रास्ता है भगवान की भक्ति। भक्ति के आगे कोई शक्ति नहीं है। राजा परीक्षित को दुर्वासा मुनि ने श्राप दिया था कि सात दिन के अंदर तक्षक नाग की दंश से उनकी मृत्यु होगी। इसी श्राप से मुक्ति के लिए राजा ने सात दिन तक भागवत कथा श्रवण किया था। कथा वाचिका ने श्रीराम के वनवास का वर्णन करते हुए कहा कि राजा दशरथ एक बार युद्ध पर गए तब उनके रथ का पहिया जमीन में फंस गया था रानी कैकेई ने रथ की पहिए को बाहर निकालने में राजा की मदद की थी। राजा ने रानी को वचन मांगने को कहा। तब रानी ने कहा था कि समय पर मांग लेंगे। जब श्रीराम का राज्याभिषेक होनेवाला था तो रानी ने राम को वनवास जाने की मांग की। तब राजा दशरथ ने अपने वचन को रखने के लिए राम को वनवास भेजा था।श्री राम कथा श्रवण को लेकर लेटबाड़ी बलरामपुर बीचामहल करनघाटी,बड़ा सरसा रानीपुर, गोपालपुर केरियोडीह,सहित आसपास के गांवों के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। श्री रामकथा आयोजन में लेटबाड़ी बलरामपुर गांव के समस्त वासियों का सराहनीय योगदान दे रहे हैं।