एस भगत
फागुन महीने में पलाश के फूलों की लाली छा गई है, जो होली का संकेत दे रही है। पलाश का फूल उत्तर प्रदेश और झारखण्ड का राज्य पुष्प है, जो अपनी सुंदरता और उपयोगिता के लिए जाना जाता है। पलाश के फूलों से सुगंधित रंग तैयार किए जाते हैं, जो होली के रंगों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, पलाश के फूलों से विभिन्न औषधियां बनाई जाती हैं, जो शक्तिवर्द्धक और रोग वर्द्धक होती हैं। आयुर्वेद में पलाश को एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी माना जाता है, जो अपने गुणों के कारण देव पुष्प की संज्ञा दी गई है। पलाश के पत्ते दोना और पत्तल बनाने के काम भी आते हैं। किंतु, पलाश के पेड़ उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। इसकी बेतहाशा कटाई तो की जाती है, परंतु रोपण की कोई व्यवस्था नहीं है। फलत: पलाश के वृक्षों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है।
प्रकृति के कृपा के भरोसे यह वृक्ष अपने अस्तित्व को बचा रहा है। ऐसे बहुपयोगी वृक्षों के संरक्षण और संवर्द्धन की आवश्यकता है। ताकि हर वर्ष यह फागुन की शोभा बढ़ाता रहे।