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April 21, 2025 11:28 pm

वन अधिकार अधिनियम के तहत विशेष अभियान के लिए कार्यशाला आयोजित।

प्रशांत मंडल

लिट्टीपाड़ा( पाकुड़ )गुरुवार को वन अधिकार अधिनियम 2006 अबुआ बीर, अबुआ दिशोम के तहत् अधिक से अधिक संख्या में दावों को सुजित कर योग्य लाभुकों को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन प‌ट्टा उपलब्ध कराने के लिए विशेष अभियान के तहत प्रखंड कार्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।इस कार्यशाला में प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार प्रखण्ड कल्याण पदाधिकारी के.सी.दास. अंचल निरीक्षक अनिल पहाड़िया सहित लिट्टीपाड़ा प्रखंड /अंचल क्षेत्राधीन सभी वनाधिकार समिति के अध्यक्ष सचिव एवं सदस्यों ने भाग लिया।कार्यशाला में प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि लिट्टीपाड़ा प्रखंड /अंचल क्षेत्राधीन ग्राम स्तर पर ग्राम सभा का आयोजन कराकर व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वनपट्टा हेतु अधिक से अधिक संख्या में नये दावों को सृजित कराना है और पुराने लम्बित दावों का त्रुटी निराकरण कराकर अनुमण्डल स्तरीय वनाधिकार समिति को अग्रेत्तर कार्रवाई के लिए दिनांक 21 मार्च से 29 मार्च 2025 तक उपलब्ध कराने को कहा गया। व्यक्तिगत दावे की जांच ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति के द्वारा किया जायगा जिसकी सूचना दी जायेगी। मौके पर जांच के समय तथा ग्राम सभा में दावों पर चर्चा के दौरान समिति की उपस्थिति अवश्य होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि बैठक पंजी में ग्राम सभा आयोजित कर वन अधिकार समिति का गठन करते हुये सत्यापित दावों का अनुमोदन कराने को कहा। साथ ही ग्रामसमा की बैठक पंजी में अनुमोदित दावों से संबंधित नाम, रकबा, तिथि और हस्ताक्षर सहित दर्ज किया जाना आवश्यक होगा । अगर किसी कारण से किसी दावों को ग्रामसभा में ही निरस्त किया जाता है तो उसकी जानकारी भी कारण सहित पंजी में दर्ज करना होगा।वहीं प्रभारी प्रखंड कल्याण पदाधिकारी के. सी. दास और प्रभारी अंचल निरीक्षक अनिल पहाड़िया ने बताया कि वन अधिकार दावा पत्र प्राप्त करते समय वन अधिकार-पत्र के साथ भूमि का नक्शा और रकबा अंकित हो, तथा जितनी भूमि का दावा किया है उतनी मान्य होना आवश्यक है। पारम्परिक सामुदायिक वन अधिकार का उपयोग जैसे निस्तार, चराई, गौण वन उपज, जल और मछली, जैव विविधता, देवस्थल, औषधीय जडीबूटी या अन्य कोई ऐसे उपयोग के ऊपर प्रवेश और इस्तेमाल का अधिकार होगा इसके अतिरिक्त, विशेष पिछड़ी आदिम जनजाति के पर्यावास अधिकार, घुमंतू या पशुपालकों के स्वतंत्र पारंपरिक अधिकार और वन ग्राम को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने का अधिकार सहित वन संसाधनों के सतत इस्तेमाल हेतु सुरक्षा, प्रबंधन, संरक्षण, और पुनर्जीवित करने का अधिकार होगा साथ ही पारंपरिक या रूढ़िगत सीमा के अंतर्गत आनेवाले सामुदायिक वन संसाधनों के सतत इस्तेमाल हेतु सुरक्षा, प्रबंधन, संरक्षण तथा पुनर्जीवित करने का अधिकार वन अधिकार समिति का भी दायित्व होगा।

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