पाकुड़ जिले से जाने वाले 47 शिक्षक हैं जबकि आने वाले मात्र 28, जबकि साहेबगंज में है यह आँकड़ा 19 और 11का
सुदीप कुमार त्रिवेदी
एक तरफ केंद्र व राज्य सरकार शिक्षा में मूलभूत सुधार करने एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा स्तर करने को अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करती है वहीं दूसरी शिक्षा विभाग के आदेश को देखें तो इस मुद्दे के एक अलहदा ही पहलू उभरकर सामने आते हैं । बताते चले कि झारखंड सरकार, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग(प्राथमिक शिक्षा निदेशालय) के आदेश संख्या 18/विविध 03/2003, 992 दिनांक 02/08/24 राज्य के सरकारी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय प्राचार्य, प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षक के स्थानांतरण नीति की स्वीकृति से संबंधित संकल्प संख्या 2093, दिनांक 06/08/2019 ( विभागीय अधिसूचना संख्या 1556, दिनांक 08/06/2022 द्वारा यथा संशोधित) के आलोक में जिला स्थापना समिति द्वारा इंटर प्रशिक्षित( कक्षा 1से 5) एवं स्नातक प्रशिक्षित(कक्षा 6 से 8) शिक्षकों के विशेष परिस्थिति में स्थानांतरण के संबंध में ऑनलाइन शिक्षक स्थानांतरण पोर्टल पर प्राप्त अंतर जिला स्थानांतरण से संबंधित अभ्यावेदनों पर प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत गठित राज्य स्तरीय स्थापना समिति की बैठक दिनांक 02/08/2024 में लिए गए निर्णय के आलोक में कुल 665 शिक्षक/शिक्षिकाओं का अंतर जिला स्थानांतरण किया गया है । चुकि संविधान में वर्णित कानून बनाने व निर्णय लेने की विभाजित शक्ति के अनुसार शिक्षा राज्य सूची का विषय है, लिहाजा शिक्षा से संबंधित आदेश व कानून बनाने का अधिकार राज्य के पास निहित है, परंतु विभागीय आदेश के इतर इसका एक अलग पहलू भी है जिसे लेकर शिक्षा जगत से जुड़े लोग कदाचित अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं । शिक्षा के प्रति समर्पित लोगों का कहना है कि शिक्षा के मामले में राज्य के शेष जिलों की तुलना में पाकुड़ व साहेबगंज की स्थिति पहले से ही चिंताजनक रही है ऐसे में शिक्षा कार्य में लगे शिक्षकों का इस तरह स्थानांतरण करना विपरित प्रभावकारी होगी । गौरतलब हो कि उक्त आदेश में पाकुड़ से कुल 45 शिक्षक अपने गृह जिला जाएँगे जबकि यहाँ 28 के आसपास शिक्षक आएँगे, उसी तरह साहेबगंज जिले में ये आँकड़ा 19-11 की है । अब सवाल यह उठता है कि शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े जिलों की शैक्षणिक स्तर का क्या होगा ? दूसरा सवाल ये कि भर्ती के दौरान किसी भी जिले में बतौर शिक्षक की बहाली के लिए एड़ी-चोटी एक करने वाले आवेदक उसी समय अपने ही जिले में रहकर शिक्षा कार्य करने का प्रयास क्यों नही करते हैं ? और तीसरा सवाल कि क्या सरकार को इस दिशा में पुनर्विचार नहीं करना चाहिए । बताते चले कि एक वर्ष पूर्व भी ऐसा ही आदेश दिया गया जिसे कतिपय कारणों से रद्द कर दिया गया था । इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारी से संपर्क साधने का प्रयास किया गया, पर संपर्क स्थापित नहीं हो पाया ।
