Search

October 19, 2025 4:33 pm

रामकथा का चौथा दिन — संगीत और संस्कारों से गूंज उठा पंडाल।

गुरु वशिष्ठ के आश्रम में श्रीराम की शिक्षा-दीक्षा का भावमय प्रसंग, संगीतमय प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु।

पाकुड़ | हरिणडांगा मैदान सोमवार की शाम भक्तिरस और अध्यात्म की धारा से सराबोर हो उठा, जब श्रीरामकथा के चौथे दिवस शिक्षा-दीक्षा प्रसंग की संगीतमय प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कथा वाचक परसमणि जी महाराज ने जब अपने ओजस्वी और मधुर कंठ से श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की गुरुकुल यात्रा का वर्णन किया, तो श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर कथा में डूब गए।

ध्वनि और भक्ति का अद्भुत संगम

विशेष बात यह रही कि पूरा प्रसंग भक्ति-भाव से ओतप्रोत संगीतमय प्रस्तुति के रूप में हुआ, जहां श्रीराम के बाल्यकाल, गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण और वेदों-शास्त्रों की दीक्षा को अत्यंत मार्मिक और सारगर्भित रूप में प्रस्तुत किया गया। परसमणि जी महाराज ने कहा— “श्रीरामकथा केवल भगवान राम के जीवन का वर्णन नहीं है, यह एक जीवनदर्शन है, जहाँ हर प्रसंग हमें नैतिकता, कर्तव्य और श्रद्धा का पाठ पढ़ाता है। गुरु का स्थान जीवन में सर्वोच्च होता है। राम स्वयं भगवान होते हुए भी महर्षि वशिष्ठ के चरणों में बैठकर शिक्षा लेते हैं— यह विनम्रता, मर्यादा और अनुशासन की प्रेरणा देता है।”

गुरुकुल की गरिमा, शिक्षा का महत्व

वाचक ने विस्तार से बताया कि महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में चारों भाइयों ने वेद, शास्त्र, धनुर्विद्या, राजनीति, युद्ध कौशल और जीवन के व्यवहारिक ज्ञान की शिक्षा पाई। यह दृश्य न केवल कथा का एक हिस्सा था, बल्कि आज की पीढ़ी के लिए यह संदेश भी था कि गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है और शिक्षा ही जीवन का आधार है।

भक्ति से सराबोर श्रद्धालु

कथा के दौरान हर वाक्य, हर श्लोक और हर गीत के साथ श्रोता भावविभोर होते रहे। महिलाएं, बच्चे, वृद्ध—सभी एकाग्रचित्त होकर इस दिव्य प्रसंग में लीन दिखे। पंडाल में जैसे साक्षात अयोध्या की झलक दिख रही थी।

आज का प्रसंग: जनकपुर आगमन और सीता स्वयंवर की तैयारी

मंगलवार को श्रीरामकथा के पांचवें दिन जनकपुर आगमन और सीता स्वयंवर की तैयारी का भव्य संगीतमय प्रसंग प्रस्तुत किया जाएगा। आयोजकों ने श्रद्धालुओं से समय पर पहुंचकर पुण्य लाभ लेने की अपील की है।

Leave a Comment

लाइव क्रिकेट स्कोर