जमुआ थाना में संसाधनों का अभाव
इसके बावजूद जमुआ थाना की पुलिस ग्रामीणों को सुरक्षा मुहैया कराने में मुस्तैद है
—- सुधीर सिन्हा
जमुआ, गिरिडीह। आम लोगों को सुरक्षा प्रदान करने तथा इलाके में शांति व्यवस्था की जिम्मेवारी निर्वह्न करनेवाले पुलिस महकमे का जमुआ थाना का पुराना खपरैलनुमा भवन व आवास अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। अंग्रेजों के जमाने में बना खपरैलनुमा भवन मरम्मति के अभाव में जर्जर हो गया है। आजादी के 78 वर्षों बाद भी पुलिस कर्मियों के लिए प्रयाप्त आवास उपलब्ध नहीं हैं। हालात यह है कि पूरी तरह से खस्ताहाल खपरैलनुमा थाना व आवास खंडहर बनने की ओर तेजी से अग्रसर हैं। इस कारण जमुआ थाना में पदाधिकारी और पुलिस जर्जर भवन में रहने को विवश हैं। बरसात के दिनों में थाना कार्यालय और आवासीय भवनों की दीवारों व छतों से पानी चूने के कारण पुलिस कर्मियों का जीना दूभर हो जाता है।
भवन की मरम्मती की सख्त जरूरत
दरवाजे व खिड़कियों की लकड़ियां सड़ गई हैं। इस भवन की स्थिति इतनी बदत्तर है, कि कभी भी इसकी छत ढह सकती हैं फिर भी पुलिस महकमा जमुआ का खपरैल नुमा पुराना थाना भवन व आवासीय भवन मरम्मत कराने की ओर पहल नहीं हो पा रहा हैं। उक्त भवन की मरम्मती की सख्त जरूरत हैं।

जमुआ थाना की पुलिस ग्रामीणों को सुरक्षा मुहैया कराने में मुस्तैद
उल्लेखनीय है कि जमुआ प्रखंड की आबादी लगभग 3 लाख है, इस प्रखंड में नवगठित 42 पंचायत है जिसमें प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित जमुआ थाना मुख्य हैं। इस प्रखंड की घनी आबादी को देखते हुए दो अन्य थाना कार्यरत हैं, जिनमें हीरोडीह थाना और नवडीहा ओ पी थाना भी हैं। संसाधनों के कमी के कारण पुलिस कर्मियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद जमुआ थाना की पुलिस ग्रामीणों को सुरक्षा मुहैया कराने में मुस्तैद हैं।

लोहे का खंभा पर छत टिकी हुई है
जमुआ का पुराना थाना भवन खपरैल नुमा अंग्रेजों के समय का बना हुआ है। इसमें लगा बांस, बल्ली आदि टूटने लगे हैं। स्थिति यह है कि लोहे का खंभा पर छत टिकी हुई है। बरसात में भवन के गिरने का खतरा बढ़ जाता है, इस दौरान अनहोनी का आशंका से उनकी सांस अटकी रहती है। साथ ही दस्तावेज भीगने और नष्ट होने का डर भी बना रहता है।

2008 में बना था नया भवन
वर्ष 2008 में यहां लाखों की लागत से नया थाना भवन और गार्ड रूम की आधारशिला रखी गयी थी। भवन निर्माण में संवेदक ने काफी अनियमितता बरती। जैसे-तैसे भवन खड़ा कर दिया। यह भवन भी वर्तमान में जर्जर हो चुका है। सबसे बड़ी बात है, कि नया भवन में ठीक से ना तो प्लास्टर हुआ है और ना ही खिड़की-दरवाजा लगा है। यह भवन भी अब टूट कर गिरने लगा है, दीवारों पर झाड़ियां उग रही हैं।

जमुआ थाना में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारी और कर्मी
जमुआ थाना में पद स्थापित पदाधिकारी की संख्या कम है, सिपाही की संख्या भी कम हैं, चौकीदार की संख्या करीब 50 हैं। जमुआ थाना में वाहनों की संख्या चार है, लेकिन सभी जर्जर स्थिति में है। पुलिस बैरक की स्थिति दयनीय है, जिसकी मरम्मति की नितान्त आवश्यकता है। रसोई की स्थिति भी दयनीय हैं। जमुआ थाना परिसर में पुलिस निरीक्षक पदस्थापित है लेकिन उनका अपना भवन नहीं हैं। थाना भवन में ही कार्यालय संचालित हैं ,पुलिस निरीक्षक का आवास खंडहर नुमा हैं। जिसे तत्काल पुलिस निरीक्षक कार्यालय भवन एवं आवास निर्माण की आवश्यकता है।
क्या कहते हैं थाना प्रभारी और पुलिस निरीक्षक
(1):जमुआ थाना प्रभारी विभूतिदेव ने कहा कि जमुआ थाना, खपरैल नुमा थाना जर्जर स्थिति में है ,खासकर बरसात में खपरैल नुमा थाना में पानी चूता है ,कागजात भींग जाता है ।कागजात के रखरखाव में दिक्कत होता है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में आरक्षी अधीक्षक गिरिडीह को दो-तीन दिन पूर्व भवन निर्माण हेतु प्रस्ताव भेजा गया है।

विभूतिदेव, थाना प्रभारी जमुआ ।
(2):जमुआ पुलिस निरीक्षक प्रदीप कुमार दास ने कहा कि उनका अपना कार्यालय भवन नहीं है। स्टाफ की कमी है, थाना भवन स्थित कमरे में कार्यालय संचालित है, आवास खंडहर हैं।

प्रदीप कुमार दास, पुलिस निरीक्षक जमुआ





