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June 27, 2025 11:27 am

सुहागिन महिलाएं ने वट सावित्री व्रत हर्षोल्लास से मनाया

पाकुड़ (पाकुड़िया)…

रिपोर्ट मृत्युंजय कुमार

पाकुड़िया सहित प्रखंड क्षेत्र के मोंगलाबांध, रामघाटी, फुलझिंझरी,राजदहा, गनपुरा, ओरपाड़ा आदि गांवों के सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री पूजा के अवसर पर वट वृक्ष में पूजा अर्चना की। इस दौरान महिलाओं ने एक-दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर पति की मंगलकामना की। इसके बाद घर में पति की आरती उतारी ओर आशीर्वाद लिया। कहा जाता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित की थी। इसी दिन सावित्री अपने पति के प्राण यमराज से वापस लाई थी। इसीलिए सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। ऐसी मान्यता है कि जितनी उम्र बरगद के पेड़ की होती है, सुहागिनें भी बरगद के पेड़ की उम्र के बराबर अपने पति की उम्र मांगती हैं। हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी- देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष के पास जाकर धूप, दीप नैवेद्य आदि से पूजा करती हैं। साथ ही रोली और अक्ष चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधती हैं और हाथ जोड़कर वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। जिससे उनके पति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। वहीं सोमवती अमावस्या पर स्नान, दान, पितरों की पूजा और धन प्राप्ति के खास उपाय भी किए जाते हैं। अमावस्या तिथि के दिन महिलाएं बांस की टोकरी में सप्त धान्य के ऊपर ब्रह्मा और वट सावित्री और दूसरी टोकरी में सत्यवान एवं सावित्री की प्रतिमा स्थापित करके वट के समीप जाकर पूजन करती हैं। साथ ही इस दिन यम का भी पूजन करती हैं और वट की परिक्रमा करते समय 108 बार वट वृक्ष में कलावा लपेटा जाता है। मंत्र का जाप करते हुए सावित्री को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं सौभाग्य पिटारी और पूजा सामग्री किसी योग्य को दी जाती है। इस व्रत में सत्यवान और सावित्री की कथा का श्रवण किया जाता है।

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