बिना मेहनत ₹2500, परिश्रम का केवल ₹2000: सरकार की नीति पर मंथन जरूरी।
सतनाम सिंह
पाकुड़: झारखंड सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण और सम्मान के लिए ₹2500 प्रतिमाह सम्मान भत्ता देने की योजना सराहनीय कदम मानी जा रही है। हालांकि, इस योजना की तुलना जल सहिया और स्वास्थ्य सहिया के मेहनताने से किए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।जहां एक ओर सरकार बिना किसी कार्य के महिलाओं को ₹2500 की सहायता राशि दे रही है, वहीं जल सहिया व स्वास्थ्य सहिया को पूरे महीने कड़ी मेहनत के बावजूद केवल 2 हजार का भुगतान किया जा रहा है। जो भी कई जिला इनमें वंचित है। यह स्थिति मेहनताने और सम्मान भत्ते के बीच असमानता की ओर इशारा करती है।जल सहिया संगठन के पाकुड़िया प्रखंड के उपाध्यक्ष सुनीता देवी ने बताया कि पूर्व के रघुवर सरकार में सभी जल सहिया को हर महीने शौचालय बनवाने का भी कम मिलता था वह भी हमारे हाथ से छिन लिया गया है। साथ ही साथ सरकार के निर्देश पर शौचालय बनवाने का ठेका वेंडर समेत विभिन्न बिजोलिया को दिया गया। अभी हम लोगों को विभाग द्वारा पूर्व में बनाए गए सभी शौचालय का सर्वे करने का निर्देश थोपा गया था की कौन सा शौचालय क्षतिग्रस्त है और कौन घर में शौचालय की आवश्यकता है जिसका रिपोर्ट हम लोगों ने सौंपा है। मरम्मती हेतु जो राशि आएगी वह भी डोंगल में वेंडर के माध्यम से जाएगी और वही लोग काम करेंगे। सरकार के अनदेखी के साथ-साथ क्षेत्र के लोगों का ताना भी हम लोग सुनते हैं। सरकार से निवेदन होगा कि हमें जो भी प्रोत्साहन राशि मिलती है वह मेहनत की मिलती है इस प्रोत्साहन राशि को बढ़ाया जाए नहीं तो हमारा परिवार चलाना दुभर हो जाएगा।2023 के सितंबर माह के बाद हमें कोई भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है।वहीं स्वास्थ्य सहिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष पंपा मंडल ने बताया सरकार को कई बार मांग पत्र सौपा गया है। लेकिन सरकार ने सहियाओं के हित में कोई ठोस पहल नहीं की है। जबकि हम लोगों की 24 घंटे ड्यूटी है। लेकिन सरकार की दोहरी नीति के कारण ऐसी महिलाएं जो निठल्ले बैठे हैं उनको 2500 दे रही है। लेकिन हम दिन-रात काम कर उतना फल नहीं मिल पा रहा है।
जल सहिया और स्वास्थ्य सहिया का योगदान
ग्रामीण इलाकों में जल सहिया स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं। इसी प्रकार, स्वास्थ्य सहिया स्वास्थ्य सेवाओं में अहम भूमिका निभाती हैं, जिसमें टीकाकरण, प्रसव देखभाल, और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं में सहायता शामिल है। इनके योगदान के बावजूद इन्हें नाममात्र मेहनताना दिया जा रहा है।राज्य सरकार की इस नीति पर जलसहिया व स्वास्थ्य सहियाओं में नाराजगी है।उनका कहना है कि बिना मेहनत ₹2500 देने की बजाय, जल सहिया और स्वास्थ्य सहिया जैसे मेहनतकश कार्यकर्ताओं का मेहनताना बढ़ाया जाना चाहिए।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति श्रम और सम्मान के बीच असमानता को दर्शाती है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सम्मान भत्ते के साथ-साथ जल सहिया और स्वास्थ्य सहिया को उनके योगदान के अनुरूप उचित मेहनताना दिया जाए।
सरकार की जिम्मेदारी
झारखंड सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और सभी वर्गों के साथ न्याय करने की आवश्यकता है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन मेहनतकश कर्मचारियों की अनदेखी करना उचित नहीं है।इस असमानता को लेकर जल्द ही कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार और सम्मान मिल सके।


